रविवार का सदुपयोग – अंश : 125 वाँ


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश : 125 वाँ 
 
महाकुंभ 2025: सनातन शक्ति का भव्य समागम और नेतृत्व की अद्वितीय मिसाल
 
गङ्गा चैव यमुना चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदा सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
 
महाकुंभ – 2025 का प्रयागराज में विगत सप्ताह पूर्णिमा के दिन शुभांरभ हो गया है। भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का सबसे बड़ा उत्सव है। यह आयोजन 144 वर्षों के बाद विशेष खगोलीय संयोग के साथ हो रहा है जो इसे और भी दुर्लभ और महत्वपूर्ण बनाता है।
 
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर करोड़ों श्रद्धालु इस महापर्व में आस्था और भक्ति के साथ पवित्र डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करेंगे। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अभूतपूर्व है।
 
महाकुंभ भारतीय संस्कृति की जड़ों में गहराई तक रचा-बसा पर्व है। इस आयोजन में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु आते हैं जिसमें साधु-संतों, तपस्वियों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति इसे और भी विशेष बनाती है। कुंभ मेला केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि यह समाज को एकजुट करने वाला पर्व है, जो भारतीय संस्कृति, सहिष्णुता और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।
 
महाकुंभ 2025 की सफलता और भव्यता के पीछे केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के समर्पित प्रयासों की अहम भूमिका है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी के नेतृत्व में इस आयोजन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने “स्वच्छ भारत मिशन” और “नमामि गंगे” जैसे अभियानों से गंगा की स्वच्छता को प्राथमिकता दी है। गंगा को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीकों और संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया गया है।
 
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रयागराज को एक नई पहचान दी गई है। कुंभ मेले के लिए प्रयागराज में एक नया शहर बसाया गया है जो आधुनिक तकनीक और परंपरागत मूल्यों का अनूठा संगम है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
 
तकनीक के क्षेत्र में महाकुंभ 2025 को एक मिसाल बनाया गया है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, मोबाइल एप्स और जीपीएस ट्रैकिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का व्यापक उपयोग किया गया है। गंगा के किनारे स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं, जिससे यह आयोजन पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का भी प्रतीक बन गया है।
 
महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है जो इसे विश्व का सबसे बड़ा मानव समागम बनाता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। विदेशी पर्यटकों की बड़ी संख्या इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत का वैश्विक प्रतिनिधि बनाती है।
 
महाकुंभ 2025 भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक है। यह आयोजन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में न केवल एक भव्य धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह भारत की प्रशासनिक क्षमता और तकनीकी प्रगति का अद्वितीय उदाहरण भी है। प्रयागराज का यह आयोजन भारतीय समाज की सहिष्णुता, एकता और आध्यात्मिकता का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करता है। हम सभी अत्यंत भाग्यशाली हैं क्योंकि हमें इस विराट भव्य आयोजन का साक्षी बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
 
– क्या आप मानते हैं कि माननीय प्रधानमंत्री और उत्तरप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कुंभ मेले की व्यवस्थाओं ने भारत की प्रशासनिक क्षमता को नए आयाम दिए हैं?
 
– क्या आप मानते हैं कि महाकुंभ जैसे आयोजनों से भारतीय धर्म व संस्कृति को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलता है?
 
जय हिंद
 
हृदय की कलम से
 
आपका 
धनंजय सिंह खींवसर