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रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश : 124 वाँ
विवेकानंद जयंती विशेष
युवा दिवस पर विवेकानंद जी की शिक्षाएं: नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर लो।)
– स्वामी विवेकानंद
आप सभी को स्वामी विवेकानंद जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
राष्ट्रीय युवा दिवस जो हर साल 12 जनवरी को मनाया जाता है, भारतीय युवाओं के लिए एक प्रेरणा का दिन है। यह दिन स्वामी विवेकानंद की जयंती के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने भारतीय संस्कृति और युवाओं को एक नई दिशा देने का कार्य किया। उनका जीवन दर्शन केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए आदर्श है। उनकी विचारधारा ने हमें सिखाया कि युवाओं में अद्भुत शक्ति है जो देश को नवनिर्माण और समृद्धि की ओर ले जा सकती है।
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि युवा शक्ति किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होती है। उन्होंने कहा था कि यदि युवा आत्मनिर्भर, अनुशासित और जागरूक बनें तो देश को हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। युवाओं को केवल अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका को समझना चाहिए।
देश का नवनिर्माण केवल तभी संभव है जब युवा अपनी जिम्मेदारी को समझें। स्वामी विवेकानंद ने हमेशा शिक्षा, सेवा और आत्मबल के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है बल्कि यह व्यक्ति के चरित्र निर्माण, आत्मविश्वास और समाज सेवा के लिए प्रेरित करना चाहिए। उनका यह दृष्टिकोण आज के समय में अत्यधिक प्रासंगिक है जब युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
स्वामी विवेकानंद ने योग को जीवन का अभिन्न हिस्सा बताया। उन्होंने कहा था कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी है। योग का अभ्यास युवाओं को आत्म-नियंत्रण, ध्यान और संतुलन सिखाता है। उनका मानना था कि यदि युवा योग और ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, तो वे अपने भीतर छिपी असीम ऊर्जा और संभावनाओं को पहचान सकते हैं।
उनकी सोच के केंद्र में युवाओं का उत्थान और देश का नवनिर्माण था। उन्होंने कहा था कि यदि प्रत्येक युवा अपने सपनों को साकार करने का प्रयास करे और अपने कौशल और ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग करे, तो भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनाया जा सकता है। उनकी यह बात आज भी हर युवा के दिल में एक चिंगारी जगाने का काम करती है।
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि युवाओं को केवल बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर भी झांकना चाहिए। आत्मनिरीक्षण और आत्मविश्वास से ही वे अपनी सच्ची शक्ति को पहचान सकते हैं। उन्होंने हमेशा कहा कि “जो व्यक्ति खुद पर विश्वास नहीं करता, वह कभी भी महान कार्य नहीं कर सकता।” यह संदेश आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जब युवा अक्सर बाहरी दबावों और असफलताओं के कारण अपने आत्मविश्वास को खो देते हैं।
देश का सपना तभी साकार होगा, जब हर युवा अपने भीतर छिपी संभावनाओं को पहचानकर अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा में ले जाएगा। युवाओं के लिए उनका संदेश था कि वे अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करें, समाज की भलाई के लिए कार्य करें और अपनी संस्कृति और मूल्यों पर गर्व करें।
स्वामी विवेकानंद ने हमेशा समग्र विकास की बात की। उनका विचार था कि शिक्षा, योग और समाज सेवा का मेल ही एक आदर्श नागरिक का निर्माण करता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी देश की प्रगति तभी संभव है जब उसके युवा शिक्षित, सशक्त और समाज के प्रति जागरूक हों।
आज जब हमारा देश नई चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है, युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करना चाहिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है, यदि हम अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित रहें।
देश का नवनिर्माण केवल सरकारी योजनाओं और नीतियों से नहीं हो सकता, इसमें हर युवा की भागीदारी आवश्यक है। युवाओं को यह समझना होगा कि उनकी भूमिका केवल अपने करियर तक सीमित नहीं है बल्कि वे देश के विकास में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उनके सपने, उनकी मेहनत और उनकी प्रतिबद्धता ही भारत को एक नई दिशा दे सकते हैं। आइए हम और आप मिलकर स्वामी विवेकानंद के सपनों के भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करें।
1. क्या आप मानते हैं कि योग और ध्यान युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बना सकते हैं?
2. क्या आप मानते हैं कि युवाओं की सहभागिता के बिना देश का नवनिर्माण संभव नहीं है?
जय हिंद
हृदय की कलम से
आपका
धनंजय सिंह खींवसर