रविवार का सदुपयोग – अंश : 119 वाँ


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश : 119 वाँ 
 
एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे
 
संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।
देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते।।
 
भारत में जब-जब सब ने एकजुट होकर किसी उद्देश्य के लिए कदम बढ़ाए हैं तब-तब न केवल राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई है, बल्कि विकास के नए आयाम भी स्थापित हुए हैं। इसी भावना को अभिव्यक्त करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने “एक हैं तो सेफ हैं।” का नारा दिया। इस नारे का पहली बार उपयोग उन्होंने 31अक्टूबर को गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर किया जिसे राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके पश्चात 8 नवंबर, 2024 को महाराष्ट्र में अपनी पहली चुनावी रैली में इस नारे को दोहराते हुए उन्होंने देश को एकता और समरसता का संदेश दिया।
 
प्रधानमंत्री जी के इस नारे ने केवल महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में एकता की भावना को बल दिया। इस विचार ने सांप्रदायिकता और विघटनकारी राजनीति को नकारते हुए समाज को यह समझाया कि एकजुटता ही सुरक्षा और समृद्धि का आधार है।
 
महाराष्ट्र के चुनाव में “एक हैं तो सेफ हैं” नारा केवल एक राजनीतिक संदेश नहीं था बल्कि यह समाज के हर वर्ग के लिए एक प्रेरणा थी। प्रधानमंत्री ने इस नारे के माध्यम से स्पष्ट किया कि जब तक राष्ट्र एकजुट रहेगा तब तक कोई भी ताकत उसे तोड़ नहीं सकती। जनता ने इस संदेश को गहराई से समझा और जातिवाद, संप्रदायवाद, और विघटन की राजनीति को नकारते हुए भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजय दिलाई।
 
महाराष्ट्र चुनाव में यह भावना स्पष्ट थी कि जनता विकास को प्राथमिकता देना चाहती है। सांप्रदायिकता और विघटनकारी ताकतों को पीछे धकेलते हुए महाराष्ट्र ने एकता और प्रगति का मार्ग चुना।
 
प्रधानमंत्री जी के “एक हैं तो सेफ हैं ” के संदेश को न केवल महाराष्ट्र बल्कि राजस्थान के खींवसर ने भी पूरी तरह अपनाया। खींवसर की जनता ने जातिवाद और बंटवारे की राजनीति को दरकिनार करते हुए विकास और एकता को प्राथमिकता दी। यहां की देवतुल्य जनता ने यह सिद्ध कर दिया कि जब समाज एकजुट होता है तो कोई भी शक्ति उसे विभाजित नहीं कर सकती।
 
खींवसर में अनेक ऐसे अवसर आए जब जातिगत राजनीति का उपयोग समाज को बांटने के लिए किया गया। परंतु यहां की जनता ने न केवल इसे अस्वीकार किया बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि 36 कौम के विकास और समृद्धि को प्राथमिकता दी जाए। खींवसर के लोगों ने यह दिखाया कि “एक है तो सेफ हैं” केवल एक नारा नहीं बल्कि एक जीवन मूल्य है।
 
जातिवाद और बंटवारे की राजनीति लंबे समय से समाज के लिए बाधा रही है। इसे खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी का “एक हैं तो सेफ हैं” संदेश अत्यधिक महत्वपूर्ण है। खींवसर की जनता ने यह दिखाया कि वे ऐसी राजनीति का समर्थन नहीं करेंगे जो समाज को विभाजित करती है।
 
यह दृष्टिकोण न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। जब समाज जातिगत और सांप्रदायिक मतभेदों से ऊपर उठता है तो विकास और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। खींवसर और महाराष्ट्र दोनों ने यह दिखाया कि एकता ही शक्ति है।
 
“एक हैं तो सेफ हैं” का वास्तविक अर्थ है कि समाज की एकजुटता ही विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। जब लोग जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर विकास को प्राथमिकता देते हैं तब न केवल समाज सुरक्षित होता है बल्कि भविष्य भी उज्ज्वल बनता है। खींवसर और महाराष्ट्र की जनता ने यह सिद्ध किया कि जब विकास प्राथमिकता में होता है तो बाकी सभी विभाजनकारी तत्व कमजोर पड़ जाते हैं।
 
एक हैं तो सेफ हैं केवल एक राजनीतिक नारा नहीं बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह संदेश हर व्यक्ति को याद दिलाता है कि एकजुटता ही सफलता की कुंजी है। खींवसर और महाराष्ट्र ने यह साबित किया कि जब समाज एकजुट होकर आगे बढ़ता है, तो विकास और सुरक्षा दोनों ही सुनिश्चित होते हैं।
 
प्रधानमंत्री जी का यह नारा आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक है। यह हमें बताता है कि जब समाज संगठित रहता है तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है। खींवसर और महाराष्ट्र की जनता ने ‘एक हैं तो सेफ हैं” को अपनाकर यह सिद्ध किया कि एकता और विकास का मार्ग ही सही दिशा है। यही संदेश भविष्य में भी समाज और राष्ट्र को मार्गदर्शन प्रदान करता रहेगा।
 
जय हिंद 
 
क्या आप मानते हैं कि एकजुट होकर हर समस्या का समाधान किया जा सकता है?
 
क्या आप मानते हैं कि समाज की एकजुटता ही विघटनकारी ताकतों को सबसे करारा जवाब है?
 
जय हिंद
 
हृदय की कलम से
 
आपका 
धनंजय सिंह खींवसर