रविवार का सदुपयोग – अंश - 106 वां


रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश – 106 वां 
 
भारतीय प्रतिभाओं का पेरिस पैरालंपिक 2024 में अद्वितीय प्रदर्शन: एक प्रेरणादायक सफर
 
मंजिलें उन्हें मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। 
पंख सिर्फ हवा में उड़ान नहीं भरते, 
जिनकी हिम्मत होती है, वही आसमान छू लेते हैं।
 
भारतीय खिलाड़ियों का पैरा ओलंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन: गर्व और गौरव के क्षण
 
ये पंक्तियां हमारे पैरा ओलिंपिक खिलाड़ियों पर सटीक बैठती हैं, जिन्होंने अपने जोश, जुनून और जज्बे के दम पर आज पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
पेरिस में आयोजित हो रहे पैरा ओलंपिक खेलों में भारतीय दिव्यांग खिलाड़ियों ने “दिव्य” प्रदर्शन कर हर किसी को आश्चर्यचकित कर दिया है। अब तक पैरा ओलंपिक में भारतीय दल छह गोल्ड सहित 29 मैडल जीत चुका है । पदक पर निशाना साधकर हर भारतीय को गौरवान्वित करने वाले हमारे पैरालंपिक खिलाड़ी आज भी वह प्रसिद्धि नहीं पा सके हैं, जिसके वह वास्तव में हकदार है, लेकिन इन सभी बातों से दूर हमारे खिलाडियों का शानदार सफर जारी है। हमारी सरकार इन खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और आगे भी इस तरह के प्रयास किए जाएंगे ताकि उनकी प्रतिभा का सूर्य समूचे विश्व में यूं ही जगमगाता रहे।
 
पैरालंपिक खेलों में भारतीय दल ने अब तक कुल 29 मेडल जीते हैं जिनमें 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 ब्रोंज मेडल जीत चुका है। अवनि लेखरा पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी, उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 शूटिंग स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ अपने खिताब का बचाव किया। प्रीति पाल ने महिलाओं की 100 मीटर T35 रेस में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ कांस्य पदक जीता। यह पैरालंपिक के ट्रैक इवेंट में भारत का पहला पदक था। उन्होंने 200 मीटर T35 रेस में भी कांस्य पदक जीता।
 
इसके अलावा पैरालंपिक में बैडमिंटन प्रतियोगिता में नितेश कुमार, तीरंदाजी में हरविंदर सिंह, एथलेटिक्स में धर्मवीर, प्रवीण कुमार, सुमित अंतिम गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। वहीं शूटिंग प्रतियोगिता में मनीष नरवाल, एथलेटिक्स में निषाद कुमार, योगेश कथूनिया, प्रणव सूरमा, शरद कुमार, अजीत सिंह, सचिन खिलारी, बैडमिंटन में थुलासीमाथी मरुगेशन, सुहास यथिराज रजत पदक जीत चुके हैं। पैरालंपिक में शूटिंग प्रतियोगिता में मोना अग्रवाल, रुबीना फ्रांसिस, बैडमिंटन में मनीषा रामदास, निथ्या श्री सिवान, तीरंदाजी में राकेश कुमार /शीतल देवी, जूडो में कपिल परमार तथा एथलेटिक्स में प्रीति पाल ने दो, होकाटो होतोझे सेमा, दीप्ती जीवनजी, मरियप्पन थंगवेलू और सुंदर सिंह गुर्जर कांस्य पदक जीत चुके हैं। कल नवदीप ने जेवलिन थ्रो में सिल्वर, सिमरन शर्मा ने 200 मीटर स्पर्धा में ब्रॉन्ज मैडल, पुरुष शॉर्ट पुट में होकातो सेमा ने ब्रॉन्ज़ जीतकर पदक तालिका में वृद्धि की है।
 
हाल ही में पेरिस में संपन्न हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय दल ने पांच कांस्य और एक रजत कुल 6 मेडल जीतकर 71 वां स्थान हासिल किया था, वहीं इसके विपरीत पैरालंपिक में भारतीय दल ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अब तक कुल 29 मेडल जीते हैं, जिनमें 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 ब्रोंज मेडल जीतकर 16 वें स्थान पर पहुंच चुका है। 
 
अगर हम पिछली बार टोक्यो में आयोजित हुए पैरालंपिक खेलों की बात करें तो उन खेलों में भारतीय दल ने पांच गोल्ड सहित 19 मेडल जीते थे, वहीं उससे पूर्व रियो में आयोजित हुए पैरालंपिक खेलों में भारतीय दल महज चार मेडल ही जीत पाया था, लेकिन इस बार हमारे खिलाड़ियों ने मैंडल की बौछार कर दी है। 
 
पिछली बार पैरालंपिक 2020 के खेलों में मिली सफलता के बाद केंद्र सरकार ने पिछले पैरालंपिक खेलों के बजट में 2.8 गुना बढ़ोतरी की और 26 करोड़ से बढ़ाकर बजट को 74 करोड़ किया गया। उम्मीद है आगे इस बजट में और बढ़ोतरी की जाएगी ताकि असाधारण क्षमताओं वाले इन खिलाड़ियों को लगातार प्रोत्साहन मिल सके। पैरालंपिक खेलों में जिस तरह से लगातार भारतीय खिलाड़ी मैडल पर निशाना साथ रहे हैं, उन्हें उसी अनुपात में प्रसिद्धि एवं मीडिया कवरेज मिले तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। पेरिस ओलंपिक 2024 खेलों में जिन 6 खिलाड़ियों ने मैडल जीता उन सभी का नाम लगभग हर देशवासी जानता है, आज हमारा यह दायित्व है कि हम पैरा ओलंपिक खेलों में मैडल जीतने वाले खिलाड़ियों को भी खूब प्रोत्साहन दें ताकि उनका हौसला बढ़े और वे लगातार देश के लिए अच्छा खेलते रहें।
 
पैरा ओलंपिक में अपने हौसलों के दम पर सफलता के नए कीर्तिमान बनाने वाले इन जांबाज खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन को देखकर सारा देश गौरवान्वित है। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि सफलता का यह सफर अनवरत जारी रहेगा और देश इन खिलाड़ियों को अपनी पलकों पर बैठाकर पूरा सम्मान देगा। इस अद्भुत अनुपम सफलता के लिए विजेता खिलाड़ियों को कोटिशः बधाई एवं शुभकामनाएं…
 
1. क्या आपको लगता है कि दिव्यांग खिलाड़ियों को यदि भरपूर प्रोत्साहन मिले तो वह दुनिया में देश का नाम रोशन कर सकते हैं…!
 
2. असाधारण क्षमता वाले खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन करने पर क्या-क्या अतिरिक्त सुविधाएं दी जानी चाहिए जिससे उनका हौसला बढ़े..!
 
जय हिंद..!
 
हृदय की कलम से।
 
आपका 
धनंजय सिंह खींवसर