रविवार का सदुपयोग – अंश- सैंतालिसवाँ

 
रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश- सैंतालिसवाँ
 
लक्ष्य अटल था, अटल ही रहेगा
 
खोजेंगे अगर तभी तो रास्ते मिलेंगे
मंजिलो की तो फितरत होती हैं
खुद चलकर आती नहीं
हमें ही अपनी मंजिल की तरफ़
कदम बढ़ाना पड़ता हैं।
 
पीढ़ियों से चला आ रहा खींवसर के प्रति समर्पण आज भी उतना ही अटल है जितना पीढ़ियों से चला आ रहा है। हमारे पूर्वजों ने जिस आत्मीयता और समर्पण भाव के साथ क्षेत्र के विकास के लिए हर संभव प्रयास किए उसी रवायत को आगे बढ़ाते हुए क्षेत्रवासियों की सेवा का संकल्प जारी है।
 
चाहे दादाजी द्वारा बताए गए प्रसंग हो या फिर इतिहास के पन्नों में दर्ज सत्यता, बचपन से मैंने अपने परिवार का पीढ़ियों से खींवसर के प्रति समर्पण का भाव देखा और सुना है। खींवसर परिवार की कई पीढ़ियों ने खींवसर की प्रमुख समस्याओं के समाधान के प्रयास किए। हमारे परिवार को जब भी अवसर मिला है तब तब क्षेत्र के विकास का मजबूत आधार स्तंभ तैयार करने का प्रयास किया है।
 
आज एक बार फिर श्रद्धेय अटल बिहारी जी वाजपेई की उन पंक्तियों को याद दिलाना चाऊंगा जिसमें वह कहते है……
 
क़दम मिला कर चलना होगा 
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
 
कुछ इसी जज्बे और विश्वास के साथ मैं अपने परिवार के सेवा कार्य को आगे बढ़ाने में जुटा हूं। मेरा हमेशा यह प्रयास रहा है कि खींवसर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए सकारात्मक सोच के साथ कार्य करूं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रेरक वाक्य “सबका साथ- सबका विकास” को आत्मसात करते हुए क्षेत्र के सभी लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया है। क्षेत्रवासियों से भी जो प्यार और आशीर्वाद मिला उसने मेरे जीवन में नई ऊर्जा भरने का काम किया है। खींवसर एक नाम नहीं बल्कि हमारे परिवार की जीवन रेखा है, और मैं इन पंक्तियों के साथ मैं अपनी बात रखता हूं………
 
“कुछ पाने का जूनून है, 
इसलिए कोशिश हर रोज करता हूं, 
एक रास्ता बंद हुआ तो क्या, 
मैं उठकर नए रास्ते की खोज करता हूं। “
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि खींवसर क्षेत्र के विकास के लिए मजबूर इरादों और इच्छा शक्ति से ही संभव है?
 
2. क्या आप मानते है की “लक्ष्य अटल था, अटल ही रहेगा” की भावना लक्ष्य प्राप्ति के लिए जरूरी है।
 
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
– धनंजय सिंह खींवसर