रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश – सत्तावनवाँ
घमंडिया गठबंधन की सनातन को समाप्त करने के कुत्सित मानसिकता निंदनीय
आओं मिलकर करें साधना,
दिव्य शक्ति के तंत्र की
गूँजे फिर जयकार धरा पर,
सत्य सनातन धर्म की !!
सदियों से भारत देश की सभ्यता और संस्कृति का आधार स्तंभ सनातन संस्कृति को कुछ लोगो द्वारा समाप्त करने की गलतफहमी रखना उनकी कुत्सित मानसिकता को दर्शाता है। जब तक भारत का अस्तित्व है तब तक सनातन का अस्तित्व रहेगा। सनातन को समाप्त करने की सोच रखने वालो की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है और आने वे समय में उन्हें निश्चित रूप से सबक सिखाया जाएगा। आज भारतीय सभ्यता, संस्कृति और वैभव का को विराट स्वरूप है वह सनातन के कारण ही है।
सनातन’ जिसका अर्थ ही यहीं है – शाश्वत या ‘सदा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त…लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग आज सनातन को खत्म करने की बात कह रहे हैं। लोकतंत्र में स्वस्थ राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का होना आवश्यक है और सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी राजनीतिक विचारधारा की आधार पर काम करती है, लेकिन वर्तमान में जिस तरह से कुछ राजनीतिक पार्टियां सनातन धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रही है, निश्चित रूप से देश भर के करोडो लोगो की आस्था आहत हुई है।
सनातन धर्म को वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप के तौर पर सभी जानते हैं,कुछ मान्यता के अनुसार सनातन धर्म करीब 12 हजार साल पुराना और कुछ मान्यताओं के मुताबिक 90 हजार साल पुराना भी बताया जाता है, लेकिन सनातन धर्म उस समय से है जब कोई संगठित धर्म अस्तित्व में नहीं था। सत्य को ही सनातन का नाम दिया गया।
सनातन शब्द सत् और तत् से मिलकर बना हुआ है जिनका अर्थ यह और वह होता है. सनातन वो है, जिसका आदि है न अंत है। सनातन धर्म को मानने वालों को ही हिंदू कहा जाता है। सत्य, अहिंसा, त्याग और परोपकार सनातन धर्म के मूल मंत्र हैं। समाज को समरस बनाने में धर्म की भूमिका महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में कुछ राजनीतिक पार्टियों अपने सत्ता प्राप्ति की मंशा के साथ राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सनातन धर्म को निशाना बना रही है। जिस तरह से इन पार्टियों की ओर से सनातन धर्म को न केवल खत्म करने की बात कही गई है बल्कि सनातन धर्म को डेंगू ,मलेरिया जैसी उपाधियों से भी नवाजा जा रहा है। ऐसे में हम सभी को यह गंभीरता से विचार और मनन करने की आवश्यकता है कि क्या अपने राजनीतिक एजेंडे को साधने के लिए सनातन धर्म को टारगेट करना कितना उचित है।
आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आयोजित हुए जी-20 सम्मेलन में वसुदेव कुटुंबकम की थीम के साथ पूरे विश्व के देशों को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया गया। इसके माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास हुआ कि पूरा विश्व एक परिवार की तरह है और हम सभी को परिवार पर आने वाली हर समस्या और मुसीबत का मिलकर समाधान खोजना होगा, वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो आज सनातन को खत्म करने या मिटाने की बात करते हैं , लेकिन शायद उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सनातन का अर्थ ही कभी अंत नहीं होने वाला है। सनातन धर्म देश की जड़ों में बस चुका है और इन्हीं मजबूत जड़ों के परिणाम स्वरुप आज हमारा देश सभ्यता और संस्कृति जी मजबूत इमारत पर खड़ा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सनातन संस्कृति एक बार फिर पुनर्जीवित हो उठी है और न केवल भारत बल्कि विदेशों के लोग भी सनातन संस्कृति की ओर अग्रसर होते नजर आ रही हैं।
आज सवाल पूछने की जगह ऐसी कुत्सित मानसिकता वालों को कहना चाहता हूं।
1. सनातन धर्म शाश्वत और सदा बना रहने वाला है और रहेगा, सनातन को समाप्त करने वाली सोच जल्द स्वयं ही समाप्त हो जाएगी।
2. सनातन को नष्ट करने या समाप्त करने की सोच रखना ही ओछी मानसिकता की परकष्ठा है।
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर