रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश – सत्ताईसवां
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होली : भारतीय संस्कृति में परस्पर स्नेह के प्रतीक का महापर्व
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होली के पर्व का सामाजिक महत्व भी है। सांस्कृतिक भव्यता का यह एक ऐसा महापर्व होता है जहां आपसी मतभेद भुलाकर हम सभी एक हो जाते हैं और भारतीय संस्कृति में इस त्यौहार को परस्पर स्नेह का प्रतीक भी माना जाता है।
भारतीय संस्कृति का प्रमुख त्योहार होली हम सभी के जीवन मे अनंत खुशियां और रंग भरता है, हम सभी के जीवन में खुशियों के रंग घोलने के कारण इसे “रंग महोत्सव’ कहा गया है। होली समाज को एक साथ लाने और एक दूसरे के बीच परस्पर स्नेह को भी मजबूत करती है। सनातन महापर्व होली की खूबसूरती यह है की रंग बिरंगे इस महापर्व में रंगा प्रत्येक व्यक्ति इसे आनंद के साथ मनाता है, ऊंच नीच से परे यह पर्व सभी को समान रंगों में रंगने का काम करता है।
भारतीय संस्कृति की खूबसूरती को देखने का अवसर आपको इस त्यौहार के माध्यम से मिलता है।
भगवान श्री कृष्ण की स्थली वृंदावन, गोकुल, मथुरा, बरसाना की होली पूरे विश्व में अपना एक अनूठा स्थान रखती है, न केवल भारत में बल्कि सात समुंदर पार से भी देशी-विदेशी सैलानी यहां होली का पर्व मनाने आते हैं। मैं होली के इस पावन अवसर पर आप सभी से भी आग्रह करूंगा कि वह जीवन में एक बार वृंदावन गोकुल, मथुरा या बरसाना की होली जरूर देखें। एक और जहां इन त्योहारों के माध्यम से विदेशों में रहने वाले लोग भारतीय सभ्यता और संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश में बदलते परिवेश के साथ होली त्योहार को मनाने के मायने भी बदलने लगे हैं। होली के पर्व पर नशा करना आज सबसे बड़ी कुरीति बन चुकी है और मुझे विश्वास है की जब आप धार्मिक मान्यताओं को नजदीक से देखेंगे तब आपको देखने को मिलेगा की इस सांस्कृतिक भव्यता के पर्व को कुछ लोग पाश्चात्य प्रभाव के चलते इसे दूषित कर रहें है जिसे रोकने का बीड़ा हमें उठाना होगा।
आज हमारी युवा पीढ़ी को होली के मूल स्वरूप को पहचाना होगा और होली की मूल भावना के अनुरूप एक दूसरे के साथ प्यार परस्पर स्नेह रखते हुए सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना होगा।
होली का यह पर्व हमें सीख देता है कि हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने वाले की विजय निश्चित होती है, हो सकता है सत्य का यह मार्ग मुश्किल डगर से होकर गुजरता हो लेकिन किसी व्यक्ति ने सटीक बात कही है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता और इसलिए होली के इस पर्व पर हमें आज यह संकल्प लेना चाहिए कि हम आपसी भेदभाव, ऊंच-नीच व वैमनस्य की भावना को त्यागते हुए एक दूसरे को गले लगाकर “सबका साथ- सबका विकास” की भावना के साथ देश के विकास में भागीदार बनेंगे।
1. क्या आप भी मानते हैं कि वह होली के पर्व पर सभी लोग आपसी मतभेद भूलकर भाईचारे के रंग में लग जाते हैं ?
2. क्या आज की युवा पीढ़ी को होली की मूल भावना के साथ जुड़ने की आवश्यकता है?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर