रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश – बावनवाँ
चंद्रयान 3 – चन्द्रमा की सतह पर भारत का विजय स्तंभ, अमिट हस्ताक्षर
असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती |
देश के ख्यातिनाम कवि श्री हरिवंश राय बच्चन की लिखी गई यह पंक्तियां हमारे देश के वैज्ञानिकों पर एकदम सटीक बैठती है। चंद्रयान 2 की असफलता के बाद जिस तरह से इसरो के वैज्ञानिकों ने उसे चुनौती के रूप में लिया, उसी का परिणाम है कि आज चंद्रयान-3 के माध्यम से चंद्रमा की धरती पर विक्रम लैंडर ने देश के अशोक स्तंभ के माध्यम से चांद पर अमिट हस्ताक्षर किए है। हमारे लैंडर ने अंगद की तरह चंद्रमा पर अपना पैर जमाया है। अब एक तरफ विक्रम का विश्वास है तो दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के बाद अब चंद्रमा पर भी शान से फैहरा रहा तिरंगा हम सभी के लिए गर्व का विषय है। इसरो के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर सिद्ध कर दिखाया कि “सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ” ।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सशक्त नेतृत्व में आज भारत न केवल विश्व पटेल पर बल्कि अब चांद पर भी सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। प्रधानसेवक के रूप में प्रधानमंत्री जी ने पूरे ऑपरेशन की जिस तरह से व्यक्तिगत रूप से मॉनिटरिंग की वह वास्तव में हमारे देश के वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने वाली थी। चंद्रयान 3 के सफल लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा- यह क्षण भारत के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नए विश्वास, नई चेतना का है। अमृतकाल में अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं।
चंद्रयान-3 मिशन की सबसे खास बात यह है कि इसकी चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंडिंग ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे शक्तिशाली देशों के साथ खड़ा कर दिया है। इससे पहले ये देश भी चांद की सतह पर उतर चुके हैं। इसमें सबसे बड़ी उपलब्धि यह है को हमें विश्व में सबसे आगे खड़ा करती है वो है की “भारत” दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश है। इससे भारत का अन्य देशों में दबदबा बढ़ा है और भारत को भी एक पावरफुल देशों में गिना जाएगा।
इस मून मिशन से देश को स्पेस साइंस के क्षेत्र में भी बढ़ावा मिलेगा। भारत स्पेस साइंस में जल्द और आसानी से तरक्की कर पाएगा। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था साल 2040 तक 100 डॉलर के पार हो जाएगी। इस मिशन की लैंडिंग में AI और टेक्नोलॉजी ने अहम भूमिका निभाई है। मून मिशन को कठिन जगहों पर रोबोट से 100 प्रतिशत काम करने की टेक्नोलॉजी का एक एक्सपेरिमेंट माना जा रहा है। इससे पता चल गया है जहां लोग नहीं जा सकते हैं, वहां रोबोट के जरिए काम कराया जा सकता है।
सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि चंद्रयान-3 का लैंडर जब चांद पर उतर रहा था, तब ISRO धरती से उसे कोई कमांड नहीं दे रहा था। लैंडर AI और कम्प्यूटर लॉजिक का यूज करके चांद की सतह पर उतरा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने घोषणा की है कि चंद्रयान-3 का मून लैंडर जहां उतरा, उसे ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट के नाम से जाना जाएगा. साथ ही उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 ने जहां अपने पदचिह्न छोड़े उसे ‘तिरंगा’ नाम से जाना जाएगा. वहीं, 23 अगस्त को जिस दिन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर पहुंचा, उस दिन को अब हिन्दुस्तान ‘नेशनल स्पेस-डे’ के रूप में मनाएगा।
आजादी के अमृत काल में हमारे देश के वैज्ञानिकों ने पूरे देशवासियों को जो यह सौगात दी है, वह कई वर्षों तक देशवासियों को गौरांवित होने का अवसर देगी। हम उम्मीद करते हैं कि चंद्रमा की यह पहली यात्रा सफल होने के बाद आने वाले दिनों में हम स्पेस साइंस में ओर भी कई उपलब्धियां हासिल करेंगे।
1. क्या आप भी मानते हैं कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद पूरे विश्व में हमारे देश की प्रतिष्ठा बड़ी है ?
2. क्या आप भी मानते हैं कि आने वाले दिनों में हमारे देश के वैज्ञानिक स्पेस साइंस के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल करेंगे ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर