रविवार का सदुपयोग– अंश-बत्तीसवाँ


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश-बत्तीसवाँ 
 
कांग्रेस सरकार की लचर कानून व्यवस्था से वीरभूमि राजस्थान हो रही कलंकित
 
बालोतरा की दुःखद घटना के पश्चात आज मेरे साप्ताहिक ब्लॉग के माध्यम से यह लिखना जरूरी था क्योंकि राजस्थान का यह विफल सिस्टम एक और जीवन लील चुका है। विषय सिर्फ एक घटना का नहीं विफल सरकार के कारण पूरे प्रदेश का निरंतर ऐसी घटनाओं से कलंकित होने का है।
 
जहां मातृशक्ति के सम्मान में गर्दन कटा दी जाती है वह राजस्थान की वीर प्रसूता धरा की मूल पहचान थी जो की वर्तमान में पूर्णतया धूमिल हो चुकी है। शौर्य और वीरता की गाथाओं का इतिहास रखने वाली वीरों की भूमि राजस्थान इन दिनों लचर कानून व्यवस्था के चलते अपराधियों की शरणगाह बन चुका है। हालात यह है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। महिला और दलित अत्याचार में अग्रणी राज्य होना राजस्थान को कलंकित करता है। वही भूमाफिया, शराब तस्कर, पेपर लीक गिरोह ने राजनैतिक और सरकारी संरक्षण में बेखौफ होकर कानून व्यवस्था का माखौल उड़ा रहे है।
 
राजस्थान प्रदेश सांस्कृतिक सभ्यता और संस्कृति के रूप में अपनी पहचान रखता रहा है। राजस्थान की पहचान शांत प्रदेश की रूप में की जाती है, लेकिन पिछले साढ़े 4 वर्षों में कांग्रेस सरकार के शासनकाल में लचर कानून व्यवस्था के चलते आज प्रदेश अपराधियों की शरण स्थली बन चुका है। दूसरे राज्यों से आए अपराधी यहां बेखौफ होकर अपनी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, वहीं तुष्टिकरण की राजनीति पूरे चरम पर हैं जिसका परिणाम सनातन संस्कृति को भुगतना पड़ रहा है।
 
प्रदेश में आए दिन महिलाओं के साथ दुष्कर्म, हत्या, लूट, गैंग रेप जैसी घटनाएं लगातार हो रही है और इन घटनाओं के बावजूद भी जब सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री विधानसभा पटल पर खड़े होकर कहते हैं कि “राजस्थान मर्दों का प्रदेश है” तो ऐसी सरकार से न्याय की उम्मीद करना भी बेमानी होगा। वरिष्ठ मंत्री का यह बयान कांग्रेस की सोच को प्रदर्शित करता है साथ ही इससे अपराधियों के हौसले भी बुलंद होते होते हैं। महिला अत्याचारों की ऐसी कई घटनाएं हैं जिन्होंने राजस्थान को शर्मसार करने का काम किया है।
 
प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हुआ है। लचर कानून व्यवस्था के कारण अगर सबसे ज्यादा कोई प्रताड़ित हुआ है तो वह है प्रदेश का दलित समाज और मातशक्ति…
 
राजस्थान पुलिस की ओर से साल 2022 के अपराधो को लेकर पेश किए गए आंकड़ों को यदि सही माना जाए तो बीता साल महिला वर्ग के लिए सबसे बुरा रहा है। महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान देश के दूसरे स्थान पर है। साल 2022 में साल 2021 की तुलना में 11.61 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 
 
लचर कानून व्यवस्था के कारण ही पेपर और नकल माफिया बेखौफ होकर राजनीतिक और पुलिस के संरक्षण में युवाओं के सपनों को रोंदने का काम कर रखे हैं। प्रदेश में आयोजित हुई अधिकांश परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं, और करोड़ों रुपए में पेपरों का सौदा भी हुआ है अपराधियों और राजनेताओं के साथ गांठ के पुख्ता प्रमाण होने के बावजूद सरकार की ओर से इनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संरक्षण देने का काम किया गया।
 
प्रदेश में इन दिनों तुष्टिकरण की राजनीति चरम पर है। कांग्रेस सरकार के इस कार्यकाल में सांप्रदायिक तनाव और दंगों की सर्वाधिक घटनाएं हुई है। राजस्थान प्रदेश का शायद ही ऐसा कोई जिला होगा जो सांप्रदायिकता की आग में नहीं जला हो। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप राजस्थान पुलिस ने धार्मिक उन्मादियों के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया। धार्मिक जुलूस और शोभायात्रा ऊपर पथराव आगजनी की घटनाओं ने हमारी सनातन संस्कृति को आहत करने का काम किया है।
 
राजस्थान सरकार के साढ़े 4 सालों में लचर कानून व्यवस्था ही सरकार की विदाई का सबसे बड़ा कारण बनने वाला है।
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि प्रदेश में पिछले साढे 4 सालों में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है?
 
2. महिलाओं में दलितों के अत्याचार में राजस्थान का अग्रणी राज्य होने का कलंक प्रदेश को शर्मसार करता है?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर