रविवार का सदुपयोग – अंश-तेहत्तरवाँ

 
रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश-तेहत्तरवाँ
 
“राजतिलक की करो तैयारी,
आ रहे हैं अवध बिहारी..!”
 
सदियों का इंतजार अब समाप्त हो रहा है, प्रभु अवध पधार रहें है।
 
मेरी चौखट पे चल के आज चारों धाम आए हैं,
बजाओ ढोल स्वागत में मेरे घर राम आए हैं…
कथा सबरी की जैसे जुड़ गई मेरी कहानी से,
ना रोको आज धोने दो चरण आँखों के पानी से…
बोहोत खुश हैं मेरे आंसू के प्रभु के काम आए हैं,
बजाओ ढोल स्वागत में मेरे घर राम आए हैं…
 
500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद हम सभी के आराध्य, करोड़ों देशवासियों के प्रेरणा स्रोत, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी कल 22 जनवरी 2024 को अपनी जन्मभूमि अयोध्या बने भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजित हो रहे हैं। हम सभी अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, जो इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं। भारत के इतिहास में संभवतः यह पहला अवसर होगा, जब पूरा देश मिलकर एक ही साल में दो बार दीपावली मनाएगा। छोटे-छोटे गांव-मोहल्ले से लेकर बड़े-से-बड़े शहरों में इस दिन को यादगार और ऐतिहासिक बनाने के लिए जोरो-शोरों से तैयारियां चल रही हैं। बच्चे, बूढ़े, अमीर, गरीब, हर वर्ग में श्री राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर गजब का जोश और उत्साह है। हर कोई बस 22 जनवरी के उस ऐतिहासिक क्षण की प्रतीक्षा कर रहा है, जब प्रभु श्री राम जी अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। इस दिन पूरे देश में उत्सव का माहौल होगा। इस विशेष अवसर पर आप सभी को प्रभु श्री राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए बहुत-बहुत बधाईयां एवं शुभकामनाएं देता हूं।
 
आज पूरा देश प्रभु श्री रामचंद्र जी की भक्ति में सरोबार नजर आ रहा है और उस पल का इंतजार कर रहा है जब प्रभु श्री राम अपने नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में विराजित होंगे। यह ऐतिहासिक पल हमारे जैसे करोड़ों भक्तों के लिए एक स्वप्न जैसा था। इस स्वप्न को साकार करने के लिए पिछले 500 वर्षों में लाखों राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया है। इस पावन अवसर पर मैं उन सभी पुण्य आत्माओं को स्मरण करते हुए उनके चरणों में कोटि-कोटि वंदन करता हूं।
 
वर्ष 1528 में जब अयोध्या जी में विधर्मियों द्वारा श्री राम मंदिर को गिरकर विवादित ढांचे का निर्माण किया गया था, तभी से राम भक्तों ने प्रभु श्री राम जी के मंदिर को पुर्नस्थापित करने का जो संकल्प लिया था वह आज साकार हुआ है। रामभक्तों के संघर्ष की ये एक लंबी कहानी है। आधिकारिक रूप से वर्ष 1853 में पहली बार अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर पुनः राम मंदिर निर्माण करवाने को लेकर संघर्ष शुरू हुआ और उसके बाद 1859 में अंग्रेजी सरकार ने विवादित ढांचे के चारों तरफ तारबंदी करवा दी। समय-समय पर अलग-अलग प्रकार से रामभक्तों ने राम मंदिर पुनर्निर्माण को लेकर एक अनुशासित संघर्ष जारी रखा। आखिरकार 6 दिसंबर 1992 को वह ऐतिहासिक दिन आया, जब हजारों राम भक्तों ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने इस विवादित ढांचे को गिरा दिया।
 
इसके बाद यह मामला न्यायालय के समक्ष आया और लंबे समय तक दोनों पक्षों की ओर से दलीलें दी जाती रहीं। श्री राम जन्मभूमि न्यास समिति पुरातत्व विभाग की ओर से किए गए सर्वेक्षण और वहां की वर्तमान परिस्थितियों के पुख्ता साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए गए। आज राम मंदिर निर्माण को लेकर कुछ लोग सवाल खड़े रहे हैं, वही लोग उस समय माननीय न्यायालय के समक्ष प्रभु श्री राम जी को काल्पनिक सिद्ध करने का कुत्सित प्रयास कर रहे थे। उन्होंने तो श्री राम सेतु के अस्तित्व को भी नकार दिया और न्यायालय में श्रीराम मंदिर के विरूद्ध अधिवक्ताओं की एक लंबी फौज खड़ी कर दी थी। लेकिन आखिरकार सत्य की जीत हुई और 24 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तीन माननीय न्यायाधीशों ने हिन्दुओं को विवादित स्थल पर श्रीराम मंदिर बनाने के लिए जमीन देने का फैसला सुनाया। माननीय हाई कोर्ट की वृहद पीठ के इस फैसले को दूसरे पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन कहते हैं न कि “सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं” और वही हुआ जब 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामजन्म भूमि की है और इसे हिंदू पक्ष को देने का आदेश दिया। इस पूरी कानूनी प्रक्रिया के दौरान बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय ने जिस धैर्य और अनुशासन का परिचय दिया, वह संपूर्ण विश्व जगत के लिए एक उदाहरण है।
 
माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति का गठन किया गया और 5 अगस्त 2020 माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। मोदी सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति तथा हजारों कारीगरों व श्रमिकों की मेहनत से महज 4 वर्षो में भव्य राम मंदिर निर्माण का प्रथम चरण पूरा हुआ और अब 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है।
 
अयोध्या में बना प्रभु श्री राम जी का यह भव्य मंदिर न केवल करोड़ों देशवासियों की आस्था का प्रतीक है, बल्कि उत्तरप्रदेश समेत पूरे देश में रामराज का भी प्रारम्भ है। श्री राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक रूप से आमूल चूल परिवर्तन होने जा रहा है। आज न केवल भारतवासी साथ ही संपूर्ण विश्व के लोग अयोध्या आने के लिए लालायित नजर आ रहे हैं। आने वाले दिनों में अयोध्या धाम में श्री राम मंदिर में दर्शन के लिए देश-विदेश से हर साल करोड़ों पर्यटक आएंगे। इतने पर्यटकों के अयोध्या में आने से वहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा तथा आर्थिक संपन्नता के नए द्वार खुलेंगे। 
 
पूरे देश में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में जिस तरह से कल 22 जनवरी को एक भव्य उत्सव के रूप में मनाने की तैयारी चल रही है, वह वास्तव में अकल्पनीय है। जहां हर भारतवासी अपने आराध्य प्रभु श्री राम के अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने का उत्सव मना रहा है, तो वहीं सात समंदर पार विश्व के किसी भी कोने में बैठा राम भक्त इस उत्सव में सम्मिलित होने के लिए आतुर है। 
 
एक बार पुनः आप सभी को प्रभु श्री राम के भव्य और विराट प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। श्री रामचंद्र जी का आशीर्वाद संपूर्ण जीव-जगत पर बना रहे।
 
जय श्री राम🙏🚩
 
हृदय की कलम से!
 
आपका –
 
धनंजय सिंह खींवसर