रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश-तेतालीसवाँ
समान नागरिक संहिता
यूनिफॉर्म सिविल कोड
– भारत में समानता का नया अध्याय
समान नागरिक संहिता महज एक कानून नहीं बल्कि देश में समानता का एक नया अध्याय होगा। इसके लागू होने से देश के प्रति व्यक्ति पर एक समान कानून लागू होने लगेंगे। मुझे खुशी है की इस कानून को लागू करने के सशक्त प्रयास शुरू किए जा चुके है और निश्चित रूप से इस कानून के लागू होने से देशवासियों को गर्व की अनुभूति होगी। इस कानून के लागू होने से श्रद्धेय श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन के ध्येय वाक्य “एक देश – एक निशान -एक विधान ” की संकल्पना साकार होगी।
समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर हाल ही में 22 वें विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर आम जनता से विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है और आयोग ने जनता, सार्वजनिक संस्थान और धार्मिक संस्थानों व संगठनों के प्रतिनिधियों से एक महीने में इस मुद्दे पर राय मांगी है।
पिछले कई वर्षों से देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की जा रही थी। इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए केन्द्र सरकार की ओर से गठित विधि आयोग ने 2016 में अपनी प्रक्रिया को शुरू किया। समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों पड़ी और देश में इसे लागू किया जाना क्यों आवश्यक है। इसको लेकर समय-समय पर वाद विवाद होता रहा है, लेकिन वर्तमान हालात को अगर देखा जाए तो भारत को एक और अखंड बनाए रखने के लिए अब देश में समान नागरिक संहिता की अनिवार्यता को महसूस किया जा रहा है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि- “राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुरक्षित करने का प्रयास करेगा”। समान नागरिक संहिता की अवधारणा का उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समुदायों के भीतर मौजूद असमान कानूनी प्रावधानों को समाप्त करके समानता, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है।
समान नागरिक संहिता भारत को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विविध धर्मों, रीति-रिवाजों और प्रथाओं से समृद्ध है। हालाँकि आज़ादी ने भी यही काम किया, समान नागरिक संहिता में और भी बहुत कुछ है। विभिन्न जातियों, धर्मों या जनजातियों से संबंधित सभी भारतीयों को एक ही छत के नीचे लाने के लिए एक राष्ट्रीय नागरिक आचार संहिता का पालन किया जाएगा।
समान नागरिक संहिता सभी नागरिकों को उनके धार्मिक विश्वासों की परवाह किए बिना एक कानून के तहत समान व्यवहार करके समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देगा। यह भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करेगा और सभी के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करेगा, भले ही उनकी धार्मिक संबद्धता कुछ भी हो।
साथ ही धर्म पर आधारित विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों द्वारा पैदा की गई दूरियों को पाटकर सामाजिक एकता और सद्भाव को बढ़ावा देगा।
केंद्र सरकार ने जिस मजबूती के साथ एक बार फिर समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, वह निश्चित रूप से सराहनीय प्रयास है। अब विधि आयोग की ओर से सभी धर्म जाति के लोगों से इस संबंध में प्रतिक्रिया मांगी गई है। हमें मुखर होकर समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करानी होगी। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद देश के 140 करोड लोग एक ही कानून की पालना करने के लिए बाध्य होंगे और पुरे विश्व के लिए हमारे देशवासियों की ओर से एकता और अखंडता का संदेश होगा।
1.क्या आप मानते हैं कि देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का अब समय आ गया है ?
2. क्या आप मानते हैं कि समान नागरिक संहिता लागू करने से देश और अधिक मजबूत होगा ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर