रविवार का सदुपयोग – अंश- तीसवां


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश- तीसवां
 
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के पदचिन्हों पर चलकर भारत करेगा विश्व का नेतृत्व
 
आगमी 30 मार्च को पूरे देश में श्री रामनवमी का महापर्व धूम धाम से मनाया जायेगा। आप सभी से निवेदन है कि इस महापर्व में अपनी सहभागिता जरूर निभाएं और प्रभु श्री राम के जीवन से हमें प्राप्त शिक्षाओं को ग्रहण करते हुए अपने जीवन में अंगीकार जरूर करें। प्रभु श्रीराम का आदर्श जीवन हमें असामान्य सकारात्मकता, वचनबद्धता, सम्मान, स्नेह, सौहार्द सहित असंख्य उत्कृष्टता का दर्शन करवाता है। यदि हम अपने जीवन में प्रभु श्रीराम के जीवन का एक कण भी उतार पाएं तो हमारा जीवन सार्थक होना निश्चित है।
 
आप सभी को रामनवमी महापर्व की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के इस जन्म दिवस के अवसर पर हमें उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। मेरा मानना है कि भगवान श्रीराम के पदचिन्हों पर चलकर आने वाले दिनों में भारत विश्व का नेतृत्व जरूर करेगा।
 
प्रभु श्रीराम हमारे इतिहास के सबसे आदर्श पुरुषों हैं, इसलिए उन्हें “मर्यादा पुरषोत्तम राम” भी कहा जाता है। प्रभु श्री राम के राज में सत्य, धर्म, दया और मर्यादाओं जैसे मूल्यों की सार्थकता प्रदर्शित होती है। प्रभु श्रीराम हम सभी के लिए एक आदर्श है उन्होंने भारत ही नही सम्पूर्ण मानव-जाति को ज्ञान तथा आदर्श का पाठ पढाया। मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के जीवन चरित्र हमें सीख देता है कि मनुष्य सिर्फ कर्म करने के लिए गतिशील होता है, उसे उसके फल की कामना नही करनी चाहिए, क्योंकि जहां फल की कामना होती है, वहां फिर ज्ञान शून्य हो जाता है। 
 
प्रभु श्री राम के जीवन का हर चरित्र अपने आप में अनूठा और अनुकरणीय है। वचनबद्धता को समर्पित प्रभु श्री राम अयोध्या के राजपाट को छोड़कर 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार कर लिया तो वही एक भाई के रूप में अपने अनुज के प्रति उनका प्यार और स्नेह आज भी एक मिसाल है। प्रभु श्रीराम न केवल सिर्फ आज्ञाकारी पुत्र नहीं बल्कि श्रेष्ठ पति, पिता और राजा भी थे।
 
श्रीराम के जीवन चरित्र को यदि आत्मसात किया जाए तो हमें महसूस होता है कि अयोध्या जैसी नगरी के महाराज होने के बावजूद भी श्रीराम ने केवट, अहिल्या और शबरी जैसे पात्रों के साथ एक सामान्य व्यक्ति के रूप में व्यवहार किया। आज हम जिस तरह से जाति, वर्ण, धर्म के आधार पर अपने आप हो बांट रहे हैं वहीं दूसरी तरफ प्रभु श्री राम ने हमें संपूर्ण मानव जाति के साथ समान व्यवहार करने की प्रेरणा दी।
 
वर्तमान परिपेक्ष में हमें प्रभु श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने की सबसे अधिक आवश्यकता है। आज भारत देश पर पूरे विश्व की निगाहें हैं और हर कोई हमारे देश से एक उम्मीद लगाए बैठा है। यदि हम चाहते है कि भारत एक बार फिर विश्व गुरु के पद पर पदस्थापित होकर विश्व का नेतृत्व करे तो हमें मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र को अपनाना होगा।
 
प्रभु श्री राम की सही मायने में आराधना करनी है और राम राज्य स्थापित करना है तो ‘जय श्रीराम’ के उच्चारण के पहले उनके आदर्शों और विचारों को आत्मसात किया जाना चाहिए। तभी रामनवमी मनाने का संकल्प हमारे लिए सही साबित होगा।
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि श्रीराम के आदर्शों पर चलकर भारत विश्व का नेतृत्व कर सकता है ?
 
2. क्या रामनवमी के इस अवसर पर युवाओं को प्रभु श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करना चाहिए ?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर