Green Revolution – Need of the Hour

 
रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश-तरेपनवाँ
 
एक देश, एक चुनाव
“One Nation, One Election”
 
आज देश को समर्पित एक और बहुत बड़े सकारात्मक परिवर्तन “एक देश, एक चुनाव” की संकल्पना को पूर्ण करने की तैयारी में कदम आगे बढ़ रहें है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कश्मीर में धारा 370 को हटाकर पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ध्येय वाक्य “एक देश, एक विधान, एक निशान” की संकल्पना को साकार कर दिखाया। अब देश में “एक देश, एक चुनाव” के मामले को लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही इसको लेकर सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे ।
 
ऐसा नहीं है कि “एक देश एक चुनाव ” की यह सोच अभी बनी है। सन् 1952, 1957, 1962, 1967 में  लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ करवाए गए थे, लेकिन वर्ष 1968-69 में कुछ राज्यों की विधानसभाएँ विभिन्न कारणों से समय से पहले भंग कर दी गईं साथ ही वर्ष 1971 में पहली बार लोकसभा चुनाव भी समय से पहले हो गए थे, जिसके बाद यह परम्परा टूट गई।
 
चुनावों को लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। अगर हम देश में होने वाले चुनावों पर नज़र डालें तो देखेंगे कि हर वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। चुनावों की इस निरंतरता के कारण देश लगातार चुनावी मोड में बना रहता है। इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर भी भारी बोझ भी पड़ता है। 
 
‘एक देश-एक चुनाव’ से राजकीय धन की बचत होने के साथ ही सरकार की नीतियों का समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सकेगा और प्रशासनिक अधिकारी चुनावी गतिविधियों में संलग्न रहने के बजाय विकासात्मक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। मतदाता सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को राज्य और केंद्रीय दोनों स्तरों पर परख सकेंगे। ‘एक देश-एक चुनाव’ के सिद्धांत को अमल में लाकर चुनाव के खर्च, पार्टी के खर्च आदि पर नज़र तथा नियंत्रण रखने में सहूलियत होगी। 
 
“एक देश एक चुनाव” के मामले पर कानूनी पहलुओं पर विचार करने और सभी राजनीतिक दलों की सामूहिक सहमति बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी “एक देश एक चुनाव” के निर्णय को किस तरह से लागू किया जा सकता है और इस मुद्दे को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों में आमजन के बीच कैसे आम सहमति बनाई जा सकती है, इसको लेकर विस्तृत अध्ययन करेगी और अपने रिपोर्ट केंद्र सरकार के समक्ष पेश करेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही इस महत्वपूर्ण फैसले पर सकारात्मक निर्णय होगा।
 
क्या आप ही मानते हैं कि एक देश एक चुनाव को लागू किया जाना देश के लिए आवश्यक है?
 
क्या आप भी मानते हैं कि एक देश एक चुनाव होने से देश पर बेवजह का चुनावी आर्थिक बोझ कम होगा?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर