रविवार का सदुपयोग – अंश-छत्तीसवाँ


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश-छत्तीसवाँ
 
विकास की राजनीति 
 
आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और पिछले 75 वर्षों में देश का लोकतंत्र हमेशा मजबूत होता रहा है। पिछले एक दशक में देश के मतदाताओं की सोच में भी काफी परिवर्तन आया है और सभी मतदाता विकास की राजनीति को पसंद करने लगे हैं। अब तक जहां राजनीति जाति, धर्म, समुदाय के आधार पर की जाती थी वही राजनीति अब विकास के नाम पर होने लगी है जो समृद्ध लोकतंत्र की बेहद खूबसूरत तस्वीर है।
 
भारत देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए लंबा संघर्ष किया गया है। मजबूत आधारशिला पर खड़ा लोकतंत्र लगातार सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। एक दशक पहले जहां देश में जाति, धर्म, समुदाय के नाम पर राजनीति की जाती थी। सभी प्रमुख पार्टियां अपने प्रत्याशियों का निर्धारण भी इसी आधार पर करती थी। इस कारण मजबूत माने जाने वाले लोकतंत्र की इमारत धीरे-धीरे कमजोर होने लगी, लेकिन 2014 के बाद एक बार फिर देश में एक नए और मजबूत लोकतंत्र की शुरुआत हुई।
 
2014 में जब सम्मानीय श्री नरेंद्र मोदी जी को भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। उसी समय श्री नरेंद्र मोदी जी के गुजरात के विकास मॉडल को स्वीकार करते हुए पूरे देशवासियों ने विकास के नाम पर मतदान किया और यही कारण रहा कि आजादी के कई वर्षों बाद इतने प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनी।
 
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी देश में विकास की एक नई परंपरा शुरू की। आज पूरा देश बैंकिंग सेक्टर से जुड़ चुका है। जनधन योजना के तहत करोड़ों देशवासियों के खाते खोले गए, जिसका सीधा लाभ यह हुआ कि विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को सीधे उनके खाते में सहायता राशि मिलने लगी। इस कारण न केवल भ्रष्टाचार कम हुआ बल्कि लाभार्थियों को पूरी राशि भी मिलने लगी। उज्जवला योजना के माध्यम से हर घर गैस कनेक्शन पहुंचाने की बात हो, चाहे हर घर तक बिजली और पानी पहुंचाने की बात हो। केंद्र सरकार ने ग्रास रूट पर काम किया, उसी का परिणाम है कि आज देश के अधिकांश गांव ढाणियों में बिजली पहुंच चुकी है और हर घर नल का सपना भी साकार हो रहा है। आज देश बुलेट ट्रेन की शुरुआत करने जा रहा है। वंदे भारत ट्रेन मेक इन इंडिया का एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है और पूरे विश्व का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए न केवल किसान समृद्धि योजना की शुरुआत हुई बल्कि समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने व किसानों के उत्पादों को बेहतर मार्केट उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम किया गया।
 
आज देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां के मतदाताओं ने विकास की राजनीति को पसंद किया है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड प्रांतों में लगातार भारतीय जनता पार्टी ने सफलता का जो परचम फहराया है वह विकास की आधारशिला पर ही खड़ा हुआ है। निश्चित रूप से विकास की राजनीति की ओर मतदाताओं का झुकाव एक सुखद संकेत है।
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि देश में अब विकास की राजनीति की शुरुआत हुई है?
 
2. क्या विकास की राजनीति से देश हर मोर्चे पर मजबूत हो रहा है?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर