रविवार का सदुपयोग – अंश- चौरानबेवाँ

रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश- चौरानबेवाँ
 
पितृदिनस्य शुभेच्छाः
 
पिता धर्मः पिता स्वर्ग: पिता हि परमं तपः ।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवता । ।
 
अर्थात….
 
पिता ही धर्म है, पिता ही स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तपस्या है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सारे देवता प्रसन्न हो जाते हैं।
“पिता”
 
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता,
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता,
जन्म दिया है अगर माँ ने,
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता…
 
आज फादर्स डे है और फादर्स डे पर मैं आप सभी को शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं । हालांकि यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति का यह हिस्सा नहीं है क्योंकि अपने पिताजी के सम्मान में यदि हम अपना पूरा जीवन भी समर्पित करना पड़े तो शायद यह कम होगा।  किसी लेखक ने द्वार लिखी प्रेरक पंक्तियां “जब तक पिताजी है तब तक दुनिया का हर खिलौना मेरा है।” इस लाइनों के पीछे शायद उसका भाव यही रहा होगा कि परिवार को बनाने में जितनी मेहनत एक पिता करता है शायद कोई दूसरा नहीं कर सकता है।
 
इस दुनिया में मां को त्याग की प्रतिपूर्ति माना जाता है और उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है लेकिन वास्तविक मायने में देखा जाए तो किसी पिता का अपने परिवार के प्रति समर्पण एवं तपस्या भी कम नहीं है। इस दृष्टि से देखा जाए तो मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे आदर्श व्यक्तित्व के धनी और हमेशा मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत रहे आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह जी खींवसर साहब का पिता और एक मार्गदर्शक मित्र के रूप में सदैव मुझे आशीर्वाद मिलता रहा है। यह मार्गदर्शन और आशीर्वाद मेरी वो पूंजी है जो मेरे जीवन मार्ग को आज भी अलौकिक किए हुए है।
 
किसी भी बच्चे को अपने जीवन में सबसे पहले जिस प्रेरणादायक सुपरहीरो से मिलना होता है, वह उसका पिता होता है। बच्चों की बढ़ती उम्र में उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत होती है जो उनका रोल मॉडल बन सके। पिता सुपरहीरो का सबसे अच्छा उदाहरण है। एक पिता अपने परिवार के लिए दिन-रात अथक परिश्रम करता है ताकि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। इसी मेहनत को सम्मान देने के लिए साल का केवल एक दिन फादर्स डे रूप में मनाना कदापि उचित नहीं हैं। अगर कोई बच्चा किसी मुसीबत में होता है तो सबसे पहले उसे अपने पिता की याद आती है। इससे पता चलता है कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में पिता का कितना महत्व है। 
 
फादर्स डे हर साल जून के तीसरे रविवार को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। हर सभ्यता और संस्कृति में माँ के त्याग को उच्च स्थान दिया गया है। हालाँकि, जो व्यक्ति अपने बच्चों और अपने परिवार की खुशी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देता है, उसे भी माँ के समान ही सम्मान मिलना चाहिए। जिस तरह से हम माँ के सम्मान में मदर्स डे मनाते हैं, उसी तरह पिता के प्यार का सम्मान करने के लिए फादर्स डे भी मनाया जाता है। यह दिन पिता के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पिता ही वो इंसान होता है जो बिना अपना दुख और दर्द जाहिर किए अपना सारा फर्ज अदा करता है। माँ के बाद अगर कोई हमारे दिल के सबसे करीब होता है तो वो है हमारे “पिता”….!
 
पिता का प्यार माँ जैसा नहीं दिखता लेकिन पिता ही होते हैं जो हमें अंदर से मजबूत बनाते हैं। हमारे पिता हमें दुनिया में अच्छे और बुरे की सीख देते हैं। जब तक हमारे माथे पर हमारे पिता का हाथ होता है तब तक हमें किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं होती। वो हमेशा अपने दुख को अपने पास रखते हैं और हमें खुशियाँ देते हैं। हमें अपने पिता के संघर्षों को कभी नहीं भूलना चाहिए। मुझे अपने पिता के साथ बचपन की सभी यादें अभी भी याद हैं। वे मेरी खुशी और आनंद का असली कारण हैं। मुझे लगता है कि वह दुनिया के सबसे अच्छे पिता हैं। मैं अपने जीवन में ऐसे पिता को पाकर खुद को धन्य महसूस करता हूँ। मैं हमेशा भगवान का शुक्रिया अदा करता हूँ कि उन्होंने मुझे ऐसे अद्भुत परिवार में जन्म लेने का अवसर दिया। “फादर्स डे” सिर्फ़ एक दिन है, लेकिन क्या पिता के सम्मान में सर्फ एक दिन निहित किया जाना उचित है। उनके लिए पूरा जीवन समर्पित किया जाए तो भी कम है।
 
मैं गर्व से कह सकता हूँ कि यह मेरे पिता ही थे जिन्होंने मुझे पहले दिन से ही प्रेरित किया। दूसरे शब्दों में, उनके दृष्टिकोण और व्यक्तित्व ने मुझे एक व्यक्ति के रूप में प्रभावित किया। मैं भी अपने पिता का सम्मान करता हूँ और बड़े होने पर उनके जैसे बनने के लिए आवश्यक गुणों को विकसित करने का प्रयास कर रहा हूँ।
 
1. क्या इस बात सहमत हैं कि पिता के लिए एक दिन नहीं बल्कि पूरा जीवन समर्पित किया जाए तो भी कम है ?
 
2. क्या आप भी मानते हैं कि एक परिवार को बनाने में पिता का सर्वाधिक त्याग और बलिदान होता है?
 
हृदय की कलम से
 
आपका 
धनंजय सिंह खींवसर