रविवार का सदुपयोग – अंश- चालीसवां

 
रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश- चालीसवां
 
पर्यावरण संरक्षण- हमारी सामूहिक जिम्मेदारी
 
कल 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। विश्व पर्यावरण दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। प्रकृति ने हमें कई अनमोल तोहफा से नवाजा है और हमारे जीवन में प्रकृति के यह सभी अनमोल तोहफे काफी महत्व रखते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से हमने प्रकृति के साथ जिस तरह से छेड़छाड़ किया है , उससे पर्यावरण संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है और आज हम तेजी से ग्लोबल वार्मिंग की तरफ बढ़ रहे हैं।
 
आज हर कोई पर्यावरण प्रदूषण को लेकर काफी चिंतित नजर आता है और पर्यावरण संरक्षण की जब भी बात आती है तो इस चर्चा में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लेता है, लेकिन इस चर्चा को जमीनी धरातल पर उतारने की होती है, तब हम सभी इससे दूरी बना लेते है।
 
विश्व पर्यावरण दिवस पर आप देखेंगे कि पूरे देश भर में कई जगहों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई जाएगी। लाखों पौधारोपण भी किए जाएंगे और यह सभी क्रियाकलापों मीडिया की सुर्खियां भी बटोर लेंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगले ही दिन हम पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनने की बजाय पर्यावरण को प्रदूषित करने में अपनी भूमिका निभाते नजर आएंगे।
 
आज हम तेजी से ग्लोबल वार्मिंग की तरफ बढ़ रहे हैं। हालात यह है कि प्रदूषण के कारण पर्यावरण चक्र भी पूरी तरह से संतुलित हो चुका है। मई और जून में राजस्थान में भीषण गर्मी और लू के थपेड़े चलते हैं लेकिन इस बार बारिश में मौसम बारिश पर्यावरण प्रदूषण का ही नतीजा है। बेमौसम बारिश से जहां किसानों की फसलें चौपट हो जाती है तो वहीं जब किसान अपने खेत में बीज बोकर बारिश की उम्मीद लगाता है तो उस समय उसे निराशा हाथ रखती है।
 
आज वायु और जल प्रदूषण अपने पूरे चरम पर है। यदि इसी तरह पर्यावरण प्रदूषण का सिलसिला जारी रहा तो आने वाले दिनों में हमें स्वच्छ वायु और स्वच्छ पेयजल के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
 
पर्यावरण संरक्षण के लिए केवल पर्यावरण विभाग ही नहीं वरन आम लोगों को भी सार्थक प्रयास करने होंगे। विकास के नाम पर पेड़ों की बली के चलते पर्यावरण संरक्षण आज के युग की बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। पर्यावरण का लगातार क्षय होने के कारण आज लोगों को जल, वायु, ध्वनि प्रदूषण से लगातार जूझना पड़ रहा है।
 
पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य ही नही अपितु धर्म है। भारतीय संविधान में इसी सोच से नागरिकों की कर्तव्य सूची में पर्यावरण की रक्षा करना हर व्यक्ति का दायित्व बनाया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-A (g) में प्रत्येक नागरिक का दायित्व निर्धारित किया गया है कि “वह प्राकृतिक पर्यावरण खास कर जंगल, झीलें, नदियाँ और वन्य प्राणी की सुरक्षा व सुधार के आलवा सभी जीवों के प्रति करुणावान रहे”।
 
केंद्र की भाजपा सरकार ने पर्यावरण की इस बिगड़ती हुई दशा को देखते हुए ‘स्वच्छ भारत’ अभियान की शुरुआत की, इसी दिशा में एक कदम आगे बढ़ात हुए “गंगा सफाई अभियान ” की शुरुआत की गई। सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने के साथ ही इसका उपयोग नहीं करने को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से प्रोत्साहन के बाद अब किसान भी जैविक खेती की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।
 
पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारें भले ही अपने स्तर पर कितने ही प्रयास करने लेकिन पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने की इस मुहिम में जब तक हर व्यक्ति की स्वैच्छिक भागीदारी नहीं होगी तब तक हम पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में सफल नहीं हो सकते हैं, इसके लिए सबसे पहले हमें अपने घर से ही शुरुआत करनी होगी।
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण को रोकना बड़ी चुनौती है ?
 
2. पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्यावरण दिवस पर केवल खानापूर्ति की जाती है ?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर