रविवार का सदुपयोग – अंश-उनहत्तरवाँ

रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश-उनहत्तरवाँ
 
श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी : मेरी अटल प्रेरणा के स्रोत 
 
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, 
काल के कपाल पर, लिखता हूं मिटाता हूं, 
गीत नया गाता हूं……
गीत नया गाता हूं……
 
– भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी 
 
मेरे जैसे करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत, जिनकी प्रेरणा ही मेरे राजनीतिक जीवन की प्रथम सीढ़ी है, जिनके पदचिह्नों पर चलते हुए अटल संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा हूं, ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी, भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की कल जन्म जयंती है। राजनीति के इस महान आजातशत्रु को मैं बारंबार नमन् करता हूं। आज का यह ब्लॉग श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित करता हूं। कल उनके जन्मदिवस को पूरा देश सुशासन दिवस के रूप में माना रहा है।
 
परम् श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी एक ऐसी शख्शियत थे, जिन्होंने जीवन भर अपनी मृदुलता, सरलता व प्रेम से लोगों का दिल जीता और राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए कार्य करते रहे। वे सुशासन के महान प्रणेता थे। उनकी इन्हीं विशेषताओं के चलते उनके जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत की राजनीति में ऐसे विरले व्यक्तित्व हुए हैं, जिन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सशक्त, समृद्ध और सुदृढ़ भारत के लिए कार्य किया। इनमें भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का नाम अग्रिम पंक्ति में आता है।
 
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की भारतीय संसद में लोकप्रियता ऐसी थी कि चाहे हजार राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन कोई उनकी व्यक्तिगत तौर पर आलोचना नहीं करता था। इसके कारण उन्हें राजनीति का अजातशत्रु कहा जाता है। कवि, पत्रकार, राजनेता, कुशल नेतृत्वकर्ता और बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी श्री वाजपेयी जी पूरी निष्ठा से राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित थे। राष्ट्रीयता और देशभक्ति की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी थी, जो मेरे जैसे लाखों-करोड़ों देशवासियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है।
 
आजाद भारत में पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अलग-अलग तान खींचने वाली 23-24 पार्टियों को एक साथ लाकर गठबंधन की सरकार चलाई। उन्होंने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को गठबंधन की सरकार से परिचय करवाया, जो देश के अलग-अलग वर्गों, समुदायों, क्षेत्रों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
 
11 मई 1998 वो ऐतिहासिक दिन है, जिसने श्री वाजपेयी जी के कद को और भी बढ़ा दिया। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी के अटल नेतृत्व में राजस्थान के पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया गया, जिसके बाद भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना। इस परमाणु परीक्षण ने पूरे विश्व को भारत की ताकत का अहसास कराया।
 
वैश्विक महाशक्तियों के दबाव के बीच श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए यह परमाणु परीक्षण आसान नहीं था। परमाणु परीक्षण के फैसले को लेकर देश में भी विपक्षी दलों ने उनपर निशाना साधा था। लेकिन ये सब उनके अटल संकल्प के आगे छोटा पड़ गया। श्री वाजपेयी जी जब पोखरण परमाणु परीक्षण पर संसद में जवाब देने उतरे, तब अपनी वाकपटुता से उन्होंने जहां विपक्ष को निरुत्तर कर दिया वहीं पूरी दुनिया को साफ संदेश देते हुए कहा कि “ये भारत बदला हुआ भारत है, जो दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है। वह किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और देश की शांति व सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा।”
 
आओ फिर से दिया जलाएं,
भरी दुपहरी में अंधियारा,
सूरज परछाईं से हारा,
अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं।
आओ फिर से दिया जलाएं।।
 
निश्चित रूप से श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर कुछ भी लिखना सूरज को दीपक दिखाने के समान है। मेरे जैसे करोड़ों युवाओं के लिए आज भी श्री वाजपेयी जी एक प्रेरणा पुंज के समान है। उनके जन्मदिवस के इस विशेष अवसर पर राजनीतिक जीवन जीने वाले हम सभी लोगों को उनकी जीवनी को आत्मसात करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। आज जिस तरह से राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बढ़ती जा रही है, राजनीतिक स्वार्थों के आगे लोग मर्यादाओं को भूलते जा रहे हैं, ऐसी परिस्थितियों में सदैव अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन-चरित्र आज भी एक मिसाल है। उनकी जीवनी का अंश मात्र भी यदि हम अपने जीवन में उतार पाएं, तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर