रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश-उनचालीसवां
“नए भारत की नई संसद”
भारतीय इतिहास का एक ऐतिहासिक अध्याय
आज भारत वर्ष एक नया इतिहास रचने जा रहा है और आज का दिन देश के हर नागरिक के लिए आज का दिन गौरव अनुभूति करवाने वाला है। देश के लोकतंत्र के सबसे बड़े भव्य नव्य मंदिर संसद के नए भवन को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी देश की जनता को समर्पित करने जा रहे है। भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत संसद भवन की यह नई इमारत हर अत्याधुनिक तकनीक से परिपूर्ण है।
आजादी के समय देश में लोकतंत्र की स्थापना के साथ ही वर्तमान संसद भवन में संसदीय कार्यवाही चल रही थी। मौजूदा संसद भवन में 543 सांसद और 250 सदस्यों के बैठने के स्थान है, आगमी दिनों में लोकतंत्र 1.5 गुना होने के साथ इसका स्वरूप बड़ा होने जा रहा है। इसके बाद न केवल लोकसभा सदस्यों की संख्या बढ़ेगी बल्कि राज्यसभा सदस्यों की संख्या में भी इजाफा होगा। ऐसे में वर्तमान संसद भवन काफी छोटा होगा और आधुनिक परिपेक्ष को देखते हुए यह भवन तकनीकी रूप से भी अपर्याप्त था। अब नए संसद में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 348 सदस्य बैठ सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नए संसद भवन का जो सपना देखा था वह सपना साकार होने जा रहा है। महज ढाई वर्षो में जिस तरह से यह अनुपम इमारत बनकर तैयार हुई है, वह केंद्र सरकार की दृढ़ निश्चय और समर्पण को दर्शाता है ।
10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इसकी नींव रखी थी तो शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि इतनी जल्दी यह भव्य संसद भवन बनकर तैयार हो जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि भाजपा केवल परियोजनाओं का शिलान्यास नहीं करती बल्कि उसका निर्धारित समय अवधि में पूरा कर उद्घाटन भी करती है और संसद भवन इसी का ही अनुपम उदाहरण है।
आज एक और ऐतिहासिक घटना घटित हुई है वो है सेंगोल की स्थापना…संसद भवन में सेंगोल की स्थापना की गई है। ‘सेंगोल’ अंग्रेजों से भारतीयों को मिली सत्ता का प्रतीक था। इस पवित्र सेंगोल को इलाहाबाद के एक संग्रहालय की बजाय अब नए संसद भवन में लाया गया है। सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसको संसद भवन में स्थापित करने का निर्णय लेकर एक बार फिर लोकतंत्र के इस पवित्र स्थल का सम्मान बढ़ाया है।
आज हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है और अमृत महोत्सव के इस वर्ष में आजाद भारत के आजाद संसद भवन का देश को समर्पण होना वास्तव में हमें सुखद अहसास करवाता है। आज का यह दिन इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा और भव्यताओं से परिपूर्ण यह नया संसद भवन आने वाले कई वर्षों तक देश के लोकतंत्र को मजबूत करने का काम करेगा।
यूं तो यह संसद भवन पूरे देशवासियों के लिए गौरव का विषय है, लेकिन राजस्थान वासियों के लिए अतिरिक्त गौरव का विषय है। नई संसद के कण-कण में राजस्थान समाया हुआ है। सरमथुरा धौलपुर के लाल सफेद स्टोन, उदयपुर के केसरिया हरा पत्थर, लाखा अजमेर के लाल ग्रेनाइट, अंबाजी सिरोही के सफेद संगमरमर ने इस इमारत को भव्यता प्रदान की है तो वहीं जयपुर से अशोक स्तंभ के लिए सामग्री मंगाई गई। कोटपूतली के लाए गए पत्थर इसको अतिरिक्त मजबूती देंगे। राजनगर भीलवाड़ा के पत्थर की जाली का काम और आबूरोड में उदयपुर के मूर्ति कारों की ओर से की गई पत्थर की नक्काशी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
लोकतंत्र के इस पावन मंदिर के भव्य उद्घाटन समारोह की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं , साथ ही इस पावन पर्व पर हम सभी यह संकल्प ले कि हम देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए हमेशा समर्पण और त्याग के लिए तत्पर रहेंगे।
1. क्या आप भी मानते हैं कि देश का नया संसद भवन हर भारतवासी के लिए गौरव का विषय है ?
2. क्या नए संसद भवन के कण-कण में राजस्थान समाया हुआ है ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर