रविवार का सदुपयोग – अंश- इक्कीसवां


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश- इक्कीसवां
 
“युवा उद्यमी” बदल रहे है भारत की तस्वीर
 
गत वर्षों में जिस प्रकार से युवाओं की उद्योगों के प्रति रुचि में वृद्धि हुई है और भारत सरकार का भी निरंतरण प्रोत्साहन मिल रहा है उससे यह तय हो चुका है की भारत के विश्वगुरु बनने की नींव रखी जा चुकी है।
 
भारत नौकरी मांगने वाले से ज्यादा नौकरी देने वाला देश बन रहा है बहुत सारे कम उम्र के युवा उद्यमी आज नए नए स्टार्टअप उद्योगों के माध्यम से उद्यमी बन उत्कृष्ट कार्य कर रहें है और हजारों लोगों को रोजगार भी दें रहें है। इसमें भी हर्ष का विषय यह हैं कि ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर अनेकों युवा अपने बोध कौशल से बड़े बड़े उद्योगों की स्थापना कर रहें है।
 
सरकार द्वारा “ease of doing business” पॉलिसी के माध्यम से आज कई उद्योगों के स्थापना की राह आसान हुई है। भारत की सैंकड़ों कंपनिया आज यूनिकॉर्न बन चुकी है।
 
इतिहास गवाह रहा है कि जिस देश में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना कर वहाँ के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा दिया गया है, वह देश आज विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़े हैं और उनकी अर्थव्यवस्था भी तेजी से उछाल आया है।
 
एक बात निश्चित है प्रतिभा किसी भी परिचय की मोहताज नहीं होती है और देश के ऐसे कई प्रतिभाशाली युवा उद्यमी हैं जिन्होंने अपने दम पर एक नया इतिहास कायम किया है। आज देश की अर्थव्यवस्था में युवा उद्यमियों का सबसे बड़ा योगदान है। न केवल शहरी क्षेत्र में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी युवाओं ने उद्योगिक के क्षेत्र में नवाचार किया और आज सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। आज हमारे युवा न केवल स्वनियोजित हुए है बल्कि उन्होंने दूसरों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित कर रहे है। 
 
आंकड़ों के अनुसार हमारी 54 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है और इतनी बड़ी संख्या के लिए पर्याप्त रोजगार सृजित करने का केवल एक ही तरीका है ओर वह है नवाचारों से परिपूर्ण औद्योगिक सोच रखने वाले युवाओं के लिए एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया जाए।
 
भारत वैश्विक निवेशकों के लिए आज एक उभरता हुआ बाजार बन गया है और हमारे देश की अर्थव्यवस्था में युवाओं का प्रमुख योगदान है। 
 
बेहतर वातावरण ,मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, अटल इनोवेशन मिशन तथा मुद्रा योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाए भारतीय युवाओं को लगातार प्रोत्साहित कर रही हैं। सबसे खुशी की बात यह है की सीमित संसाधनों और आर्थिक क्षमता के बावजूद भी हमारे ग्रामीण क्षेत्र के युवा जिस तरह से आज सफलता के पायदान पर खड़े हैं,वह आने वाली पीढ़ी के लिए एक उदाहरण है।
 
1. क्या आपको लगता है गत वर्षों में उद्योगों के स्थापना की राह भारत में आसान हुई है?
 
2. क्या ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं का औद्योगिक क्षेत्र में सफलता का परचम फहराना नए भारत की शुरुआत है ?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर