रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश- इकतालीसवाँ
अपना “डेटा” संभाल कर रखें…!
आज का यह सूक्ष्म ब्लॉग आपके जीवन पर सीधा प्रभाव डालेगा यह निश्चित है और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से निवेदन है इसे जरूर पढ़ें। यूं तो पिछले लम्बे अरसे से प्रत्येक रविवार को विभिन्न समसामयिक और ज्वलंत विषयों को लेकर ब्लॉग लिखने का प्रयास कर रहा हूं, लेकिन आज का जो यह ब्लॉग है, वह आपके निजी जीवन से जुड़ा हुआ है बहुत महत्वपूर्ण विषय है,यह विषय आपकी निजी जिंदगी की गोपनीयता से जुड़ा है।
“डेटा” को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सरकार की तो है ही लेकिन उससे कहीं अधिक जिम्मेदारी आप स्वयं की है। आने वाले दिनों में साइबर अपराध बढ़ने वाले हैं और साइबर अपराधियों के लिए यह “डेटा” सबसे महत्वपूर्ण होता है इसलिए आपको इसके लिए जागरूक होगा पड़ेगा। अनावश्यक रूप से कहीं भी अपना “डेटा” शेयर करने से बचें और यदि जहां बहुत अधिक आवश्यकता हो वही अपनी व्यक्तिगत जानकारियां या दस्तावेज जमा कराएं।
पिछले कुछ दिनों से आपने समाचार पत्र की सुर्ख़यों में डाटा लीक होने या “डेटा” बेचने की खबरें निश्चित रूप से पढ़ी होगी। किसी भी व्यक्ति का “डेटा” उसके जीवन से जुड़ी गोपनीय और महत्वपूर्ण सूचनाएं होती है। सरकार विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए सभी व्यक्तियों का “डेटा” एकत्रित करती है, हालांकि सरकार की मंशा गलत नहीं होती, लेकिन जिन एजेंसी के माध्यम से यह डाटा एकत्रित किए जाते हैं, वह एजेंसियां अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए इन “डेटा” को अन्य एजेंसी को बेच देती है, जिससे आमजन को विभिन्न मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे “महंगाई राहत कैंप” विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आमजन अपना रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। इस प्रक्रिया में वह अपने मोबाइल नंबर, आधार नंबर, बैंक डिटेल, जन आधार नंबर, अन्य जानकारियां एजेंसियों के साथ साझा कर रहे हैं, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की आपकी यह निजी महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारियां कई लोगों के लिए कमाई का एक बड़ा साधन होती है। ठगी के बड़े नेटवर्क चलाने वाली कंपनियां, राजनीति प्रचार प्रसार करने वाली मल्टीनेशनल कंपनियां, विभिन्न प्रोडक्ट की ब्रैंडिंग करने वाली यह कंपनियां येन केन प्रकारेण इस “डेटा” को हासिल करने का प्रयास करती है। इस दौरान वह अनुचित लाभ देकर इन डाटा को खरीदती है और उसके बाद इन निजी जानकारियों का अपने अनुसार उपयोग करती है, जिससे कई बार आमजन को विभिन्न दिक्कतो से गुजरना पड़ता है। डाटा लीक होने का सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीण और सुदूर क्षेत्र में बैठे हमारे ग्रामीणों को होता है। वह बाजार में चल रहे इस तरह की ठगी के बारे में अनभिज्ञ रहते हैं और जब यह कंपनियां डेटा के आधार पर उनसे संपर्क करती है और उनसे ओटीपी वगेरह लेकर उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान कर सकती है।
ऐसे में मैं चाहूंगा कि सरकार योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए डाटा एकत्रित करें, लेकिन डाटा को सुरक्षित और गोपनीय बनाए रखने की जिम्मेदारी भी सरकार की होती है। ऐसे में जहां तक संभव हो “डेटा” एकत्रित करने का काम निजी हाथों में सौंपने की बजाय सरकारी एजेंसियों के माध्यम से करवाया जाए और “डेटा” को गोपनीय बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी तय की जाए जिससे आमजन के डेटा को सुरक्षित रखा जा सके।
1. क्या आप भी मानते हैं कि “डेटा” व्यक्ति की महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारी होती है ?
2. क्या “डेटा” सार्वजनिक होने से व्यक्ति को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर