रविवार का सदुपयोग – अंश- अड़तालीसवाँ


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश- अड़तालीसवाँ
 
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एकजुट होते विपक्ष का विफल होना निश्चित है।
 
कहा जाता है कि “संगठन में शक्ति होती है” लेकिन यह संगठन नि:स्वार्थ भावना पर टिका होना चाहिए। हाल ही में जिस तरह से सत्ता लोलुपता के चलते विपक्ष का जो गठबंधन तैयार हुआ है वह प्रत्येक दल के निजी स्वार्थ की राजनीति पर टिका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सशक्त नेतृत्व में भाजपा नीत एनडीए गठबंधन से हर मोर्चे शिकस्त खाने वाले विपक्ष ने एक बार फिर अपना अस्तित्व बचाने के लिए नया गठबंधन तैयार किया है। 
 
लोकसभा चुनाव 2024 में 26 विपक्षी दलो ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। अब तक जो पार्टियां एक दूसरे को खुले मंच से अपशब्दों का प्रयोग कर अपमानित करती थी, वही सब पार्टियां केवल सत्ता हासिल करने और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी नेतृत्व में हो रहे देश के विकास की गति को रोकना का निरर्थक प्रयास कर रही है।
 
आज जो पार्टी या गठबंधन बना कर सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है, शायद वह भूल गई है कि 70 सालों तक इन्हीं गठबंधन की पार्टियों का शासन रहा। एनडीए सरकार ने इन 9 वर्ष के कार्यकाल में जो जनउपयोगी निर्णय लिए हैं उन्होंने देशवासियों की जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है। आज भारत देश पूरे विश्व में अपनी एक मजबूत छवि बना चुका है। अब तक मजबूर कहलाने वाला भारत देश मजबूत भारत बनकर उभरा है और पूरे विश्व में भारत की इस क्षमता को स्वीकार किया है। देश की सीमाओं को सुरक्षित करने का मुद्दा हो या आर्थिक मोर्चे पर देश को आगे बढ़ाना हो। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जो ऐतिहासिक निर्णय लिए उसका सभी वर्गों ने दिल खोलकर स्वागत किया।
 
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का जो ऐतिहासिक निर्णय हुआ उसने वहां के लोगों के जीवन को बदल दिया। भगवान राम की जन्म स्थली पर आज भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है, काशी विश्वनाथ का कॉरिडोर हो उज्जैन के महाकाल का कोरिडोर हो, देश की सभ्यता और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण और निर्णायक कार्य किया है।
 
देश के अन्नदाता की आय को दोगुना करने के लिए न केवल केंद्र सरकार ने एमएसपी को बढ़ाया, बल्कि किसानों को आधुनिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया। युवाओं के लिए रोजगार के नए साधन विकसित किए गए, महिला सम्मान के लिए वर्षों से चले आ रहे तीन तलाक कानून को समाप्त किया।
 
यह तो बानगी मात्र है ऐसे सैकड़ों निर्णय के माध्यम से एनडीए सरकार देश के आमजन के विश्वास की कसौटी पर खरा उतरी है। लेकिन वर्षों से सत्ता में रहे कुछ राजनीतिक दलों को यह रास नहीं आ रहा है, येन केन प्रकारेण सत्ता पर काबिज होने के लिए आज समूचे विपक्ष ने जो गठबंधन तैयार किया है उसका कोई आधार नहीं है।
 
2019 के लोकसभा चुनाव में भी इन विपक्षी दलों ने ऐसा ही गठबंधन बनाकर देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया, लेकिन देश के आम मतदाताओं ने जिस मजबूती के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के निर्णय पर मुहर लगाई वह एनडीए की जन कल्याणकारी योजना के प्रति जनता की विश्वास को प्रदर्शित करता है।
 
2024 में एक बार फिर विपक्षी दलों ने गठबंधन का नाम बदलकर चुनाव में उतरने का निर्णय लिया, लेकिन शायद वह यह भूल गए हैं कि बिना दूल्हे की बारात को जनता एक बार फिर पूरी तरह से नकार देगी और 2019 के मुकाबले 2024 में प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक मजबूत स्थाई और सशक्त नेतृत्व वाली सरकार बनेगी।
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि केवल अपना अस्तित्व बचाने के लिए विपक्षी दलों ने यह गठबंधन बनया हैं ?
 
2. क्या बिना दूल्हे की बरात में देश के नेतृत्व करने की क्षमता है या इस गठबंधन की नींव ही निजी स्वार्थ है?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर