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साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश-अठावनवाँ
एशियन खेलों में भारत की स्वर्णिम सफलता “खेल” का नया अध्याय प्रारंभ करेगी।
गत वर्षों में जिस प्रकार से भारत में खेल के प्रति सकारात्मक माहौल तैयार हुआ है इसके परिणाम अब देखने को मिल रहें है। हाल ही में संपन्न हुए एशियाई खेलों में भारत ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए मेडल की जड़ी लगा दी है। इस बार के एशियाई खेलों में भारत ने 107 मेडल जीतकर एक नया इतिहास रचा है और खिलाड़ियों की इस प्रदर्शन से पूरा देश अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए गए खेलो इंडिया प्रोजेक्ट के माध्यम से जिस तरह प्रत्येक खेल की प्रतिभाओं को तराशा गया वह निश्चित रूप से आज परिणाम में तब्दील हुआ है।
आज देश में जिस तरह से खेल के प्रति माहौल बना है उससे न केवल महानगर और कस्बों से बल्कि ग्रामीण क्षेत्र से भी खेल प्रतिमाएं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है। हमारी स्वयंसेवी संस्थान खींवसर फाउंडेशन की ओर से चलाए जा रहे प्रोजेक्ट “खेलो मारवाड़” के जरिए ऐसी ही प्रतिभाशाली खेल प्रतिभाओं को निखारने की मुहिम चलाई जा रही है और विभिन्न खेल नवाचार के प्रयास भी किए जा रहे है।
एशियाई खेलों को एशियाड के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रत्येक चार वर्ष बाद आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है जिसमें केवल एशिया के विभिन्न देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं। इन खेलों का नियामन एशियाई ओलम्पिक परिषद द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक परिषद के पर्यवेक्षण में किया जाता है।
भारत के खिलाड़ियों ने 107 मेडल्स के साथ अपना सफर खत्म किया है। ईशा सिंह, प्रवीण ओजस और अंतिम पंघाल जैसे युवा खिलाड़ियों ने अपनी विशिष्ठ छाप छोड़ी।भारतीय टीम ने 107 मेडल्स के साथ अपने अभियान का अंत किया इसमें 29 गोल्ड, 37 सिल्वर और 41 ब्रॉन्ज शामिल थे। अंकतालिका में भारत चीन, जापान और कोरिया के बाद चौथे स्थान पर रहा। यह भारत का न सिर्फ एशियन गेम्स में बल्कि किसी भी मल्टी स्पोर्ट्स इवेंट का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत ने इससे पहले साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 101 मेडल जीते लेकिन इस बार वह इससे भी पार पहुंच गए।
सफलता की यह कहानी यूं ही नहीं लिखी गई है। इसके लिए पिछले कई वर्षों से लगातार मेहनत की जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और युवाओं को खेल मैदान से जोड़ने के लिए “खेलो इंडिया” अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के माध्यम से ऐसी खेल प्रतिभाएं जिनके पास पर्याप्त प्रतिभा होने के बावजूद भी संसाधनों के अभाव में वह अपना सर्वश्रेष्ठ नियमित प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। ऐसी खेल प्रतिभाओं को ग्राउंड स्तर पर जाकर चयन प्रक्रिया संपन्न की गई और उसके बाद सभी खिलाड़ियों को दक्ष प्रशिक्षकों के माध्यम से खेल का प्रशिक्षण दिया गया और उन्हें बेहतर से बेहतर संसाधन भी दिए गए। उसी का परिणाम है कि इस बार खिलाड़ियों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ सभी खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और अपनी अलग पहचान बनाई।
प्रोजेक्ट खेलो इंडिया से प्रेरित होकर खींवसर फाउंडेशन ने प्रोजेक्ट खेलो मारवाड़ की शुरुआत की। इस अभियान के तहत प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को न केवल बेहतरीन संसाधन उपलब्ध करवाए गए हैं ,बल्कि एक्सपर्ट प्रशिक्षकों के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। अब तक सैकड़ो पर खिलाड़ियों को खेल सामग्री उपलब्ध करवाई जा चुकी है और यह सिलसिला अनवरत जारी है। प्रोजेक्ट खेलो मारवाड़ के जरिए हमारा प्रयास है कि ग्रामीण सुदूर क्षेत्र में बैठी खेल प्रतिभाओं को बेहतर संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध करवाए ताकि वह अपने खेल में शत प्रतिशत प्रयास कर सके।
एशियन गेम्स में खिलाड़ियों का यह प्रदर्शन महज एक शुरुआत है और इसी के साथ भारत भविष्य में सफलता के नए आयाम स्थापित जरूर करेगा। आने वाले दिनों में हमारे प्रतिभाशाली खिलाड़ी ओलंपिक खेल में भी इसी तरह उत्कर्ष प्रदर्शन कर अंक तालिका में उच्च स्थान पर नजर आएंगे। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अब देश में खेल और खिलाड़ियों के स्वर्णिम युग की शुरुआत हुई है और इस प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद सभी खिलाड़ियों का हौसला सातवें आसमान पर होगा।
1. क्या आप भी मानते हैं कि एशियन गेम में ऐतिहासिक प्रदर्शन में प्रोजेक्ट खेलो इंडिया का महत्वपूर्ण योगदान है?
2. क्या आप भी मानते हैं कि अब एशियन खेलों में भारत की स्वर्णिम सफलता “खेल” का नया अध्याय प्रारंभ करेगी ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर