रविवार का सदुपयोग – अंश - अठाईसवां


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश – अठाईसवां
 
“फर्स्ट टाइम वोटर” की भागीदारी से मजबूत होता लोकतंत्र
 
फर्स्ट टाइम वोटर आज अपना मताधिकार उपयोग कर भारत की तस्वीर बदल रहे है। देश में अब तक परंपरागत वोटर सरकार को चुनने का काम करते थे, लेकिन पिछले दशक में जिस तरह से युवाओं में राजनीतिक भागीदारी बढ़ी है, उसके बाद युवाओं के प्रति पार्टियों की भी रणनीति और सोच में व्यापक बदलाव देखा गया है और अब राजनीतिक दलों को अपनी राजनीति को युवाओं पर केंद्रित कर युवाओं की बात को प्राथमिकता रखना मजबूरी बन चुकी है, उसी का कारण है की आज युवाओं की राजनीतिक चेतना और सहभागिता में वृद्धि हुई है।
 
गत 10 वर्षों में जिस प्रकार से 18 वर्ष की आयु में होते ही युवाओं में प्रथम बार वोट देने का उत्साह देखा गया है वह लोकतंत्र के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि इस उम्र में स्वयं की तथा देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझ उसका निर्वहन करने का कार्य कर युवा देश को मजबूती प्रदान कर रहें है। फर्स्ट टाइम वोटर भी देश की सरकार को बनाने के लिए अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है जो देश के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है।
 
भारत विश्व का सबसे युवा देश है और यही कारण है कि आज विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ युवा राजनीतिक भागीदारी भी तेजी से बढ़ रहा है। इतना ही नहीं फर्स्ट टाइम वोटर्स भी अब बढ़-चढ़कर लोकतंत्र के इस महापर्व में अपना अपनी भागीदारी भी निभा रहे हैं। पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाता को भी इसका अंदाजा होता है कि उसके इस मत से कैसी सरकार बनने वाली है। उसका एक मत प्रदेश का मुख्यमंत्री तय करता है तो वही मत देश के प्रधानमंत्री का भी चयन करता है। ऐसे में उस संवैधानिक शक्ति का सही तरीके से उपयोग करते हुए युवा मतदाता और आज मजबूत विकासशील और ईमानदार सरकार चुनने का प्रयास कर रहे है जो राजनीतिक परिपक्वता का संकेत है।
 
अब तक देश में जाति, धर्म, क्षेत्रवाद के मुद्दो के आधार पर मताधिकार का प्रयोग करने की परम्परा देखी जाती थी लेकिन अब फर्स्ट टाइम वोटर यानी युवा भी अपना मत देने से पहले हर पहलू पर गंभीरता से इस पर विचार करता है और यही कारण है कि अब हर राजनीतिक पार्टी युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता देती है और युवा उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने के साथ ही चुनाव से पहले फर्स्ट टाइम वोटर्स को अपनी और आकर्षित करने के लिए सरकारी योजना भी तैयार करती है।
 
प्रदेश में ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र है जहां फर्स्ट टाइम वोटरों की संख्या सर्वाधिक है और वह किसी भी प्रत्याशी की हार और जीत को सुनिश्चित करने का माद्दा रखते हैं। निश्चित रूप से आज मतदान के रूप में लोकतंत्र का यज्ञ होता है तो 18 वर्ष का यह युवा भी अपनी आहुति देने से नहीं चूकता हैं। लोकतंत्र के इस पर्व को युवाओं ने स्वयं पर गर्व करने वाले एक फैशन के रूप में स्वीकार किया है और पहली बार मतदान के करने के बाद जब सोशल मीडिया पर युवा चुनावी स्याही दिखाते हुए स्वयं की सुखद तस्वीर साझा करते है वो लोकतंत्र की मजबूत तस्वीर भी प्रदर्शित करते है।
 
लोकतंत्र में युवाओं की अधिक भागीदारी हमारे देश के लोकतंत्र को और अधिक मजबूत करने के संकेत हैं और इस कारण से अब राजनीतिक पार्टी पार्टी भी युवा मतदाताओं के सोच के अनुरूप अपने प्रत्याशियों का चयन कर कर रही हैं।
 
मेरा सभी युवा और विशेषकर प्रथम बार लोकतंत्र के महोत्सव में हिस्सा लेने वाले फर्स्ट टाइम वोटर से निवेदन है की आगमी वर्षों आपके देश और प्रदेश की सरकार का चयन करने का अवसर मिलेगा, आप इस अवसर उपयोग जरूर करें और देश के प्रति स्वयं की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन जरूर करें।
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि फर्स्ट टाइम वोटर की राजनीतिक और लोकतांत्रिक सहभागिता बढ़ी है?
 
2. क्या युवा मतदाताओं के लोकतंत्र में भागीदारी से देश का लोकतंत्र मजबूत हो रहा है ?
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर