रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश- अठारह
“राजनीतिक संरक्षण में पेपर लीक”
युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात
आप सभी को वर्ष 2023 के शुभारंभ की हार्दिक शुभकामनाएं।
2022 राजस्थान के अध्यनरत युवाओं के लिए कुछ अच्छा नहीं रहा, गत वर्ष में राजनीतिक रसूखदारों से जुड़े लोगों और सरकार की विफलता के कारण राजस्थान में लीक हुए अनेकों परीक्षा के पेपरों ने कई युवाओं के मेहनत पर पानी फेर दिया। एक पेपर लीक होना हजारों परिवारों और उनके बच्चों के अरमानों को तोड़ देता है। सालों की मेहनत के बाद दूरदराज सेंटर पर परीक्षा देने हेतु खर्च किया गया पैसा सब कुछ शून्य हो जाता है। एक सामान्य परिवार के लिए पेपर लीक होने बहुत गंभीर विषय है। मैं आशा करता हूं 2023 में ऐसी कोई घटना की पुनरावृति ना हों।
नए साल की शुरुआत के साथ ही युवा अपने बेहतर भविष्य के लिए पूरी मेहनत और लग्न के साथ नई ऊर्जा के साथ अपने सपनों को साकार करने में जुटेंगे, लेकिन मुझे डर है चंद लोगों के निजी स्वार्थ पूर्ति के कारण ऐसे कई मेहनती युवा अपने लक्ष्य को पाने से वंचित न रह जाएं। आज हर अभिभावक अपने बेटे बेटियों को राजकीय सेवा में भेजने का सपना देखते हैं, वहीं युवा भी अपने अभिभावकों के सपनों को साकार करने के लिए पूरी मेहनत भी करते हैं, लेकिन आए दिन हो रही पेपर लीक की घटनाओं से ऐसे युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात हो रहा है और वह हताशा और निराशा भरें माहौल में आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रहें है।
पेपर लीक की घटना साधारण घटना नहीं है। पिछले 4 वर्षों में 16 से अधिक परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं, आज प्रदेश में भू माफिया शराब माफिया बजरी माफियाओं की तरह ही पेपर माफिया गए हैं। राजनीतिक संरक्षण में यह पेपर माफिया बेखौफ होकर न केवल बड़ी कमाई कर रहे हैं बल्कि कई युवाओं और उनके अभिभावकों की उम्मीदों को तोड़ने का भी काम कर रहे हैं।
पेपर लीक होने के बाद परीक्षा रद्द करना सरकार के लिए महज एक आदेश हो सकता है, लेकिन वर्षों से अपने लक्ष्य को पाने के लिए वर्षो से मेहनत कर रहे इन युवाओं के लिए यह आदेश उनके सपनों पर बुलडोजर चलाने के समान होता है। जिस तरह से एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाएं हो रही है उसको देखकर निश्चित रूप से ऐसा लगता है कि बिना राजनीतिक संरक्षण के इस तरह पेपर लीक नहीं किए जा सकते हैं।
राज्य सरकार पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने का दावा करती है, लेकिन इस कानून बनने के बाद पेपर लीक की घटनाएं बदस्तूर जारी है और आज तक किसी भी पेपर लीक माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे गिरोह के मास्टर माइंड और सरगना राजनेताओं के संरक्षण में अपने काम को अंजाम देते हैं और फिर यही राजनेता उनको बचाने के प्रयास करने में जुट जाते हैं। अब तक हुई पेपर लीक की घटनाओं में शामिल पेपर माफियाओं के रिश्ते राजनेताओं से जुड़े होने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं, लेकिन अब तक ना तो इन बड़े मगरमच्छों के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई है ना ही उन्हें संरक्षण देने वाले राजनेताओं पर शिकंजा कसा गया है।
लाखों युवाओं के सपनों को उजाड़ने वाले इन पेपर माफियाओं की संपत्ति को कुर्क करने, अवैध रूप से बनाई गई संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने जैसी कड़ी कार्रवाई नहीं होगी तब तक इस तरह की घटनाओं को रोक पाना संभव नहीं होगा। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश इसका बेहतरीन मॉडल है। आज यहां बड़े से बड़ा माफिया कोई भी हरकत करने से पहले कई बार सोचता है और इसका सबसे बड़ा कारण वहां की सरकार द्वारा अपनाई गई जीरो टॉलरेंस नीति है। जब तक राजस्थान सरकार इस तरह कड़ी कार्रवाई नहीं करेगी तब तक पेपर लीक होने और नकल माफियाओं पर लगाम लगाने की उम्मीद करना बेमानी होगा।
1. क्या आप भी मानते हैं कि राजनीतिक संरक्षण के बिना बार-बार पेपर लीक की घटनाएं नहीं हो सकती है ?
2. क्यों ना पेपर लीक माफियाओं को संरक्षण देने वाले राजनेताओं का भी बहिष्कार किया जाना चाहिए ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर