रविवार का सदुपयोग – अंश : 116 वाँ

 
रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश : 116 वाँ 
 
गीता से ज्ञान मिला, 
रामायण से राम, 
भाग्य से हिंदू धर्म मिला 
और सौभाग्य से हिंदुस्तान।
 
 
जी हां…किसी कवि की इन पंक्तियों में देवभूमि भारत की संपूर्ण महिमा को रेखांकित किया गया है। हिंदुस्तान में जन्म लेना सौभाग्य की बात है। ईश्वर ने हमें महान और पवित्र भूमि में जन्म दिया है। इस भूमि पर सभी धर्मों का सम्मान और प्रेम मानवों में ईश्वर का वरदान है।
 
भारत-भू ने जन्म दिया है,
यह सौभाग्य हमारा है।
जन्म-भूमि से बढ़कर सुंदर,
कौन देश है इस धरती पर।
इसमें जीना भी प्यारा है,
इसमें मरना भी प्यारा है।
 
विविधताओं से भरे भारत का समृद्धशाली और गौरवशाली इतिहास इतना अधिक विस्तारित है कि उसे चंद शब्दों, पंक्तियां या पन्नों में नहीं समेटा जा सकता। भारत की इस महान भूमि पर महाभारत जैसा राष्ट्रीय ग्रंथ लिखा गया जिसमें निहित गीता का उपदेश हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं।
 
गीता के अनुसार शिक्षा वह है जो व्यक्ति में निहित परमात्मा की अनुभूति कराने में सहायक है। संसार की समस्त शुभ चेतना गीता में निहित है। गीता का उपदेश जगत कल्याण का सात्विक मार्ग और परा ज्ञान का कुंड है। आज मनुष्य को जरूरत है अपने भीतर और बाहर दोनों का संतुलन बनाने की। मनुष्य अपना ये संतुलन रोजमर्रा के काम करते हुए प्राप्त कर सकता है और अपने आप को रूपांतरित कर सकता है। इसीलिए गीता में कहा गया कि – 
 
यदा यदा हि धर्मस्य गलानिभर्वती भारत:।
अभ्युत्थानम धर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम।।
 
हिंदुस्तान की इस देवधरा पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने जन्म लिया और उनके आदर्श जीवन चरित्र आज भी हमारे लिए उतना ही प्रासंगिक है जितना पौराणिक काल में हुआ करता था। प्रभु श्री राम में अपने जीवन में आज्ञाकारी पुत्र, श्रेष्ठ भाई, आदर्श पति और प्रजापालक राजा के आदर्श स्थापित किए। भारतीय मानस में राम का महत्व इसलिए नहीं है क्योंकि उन्होंने जीवन में इतनी मुश्किलें झेलीं बल्कि उनका महत्व इसलिए है कि उन्होंने उन तमाम मुश्किलों का सामना बहुत ही शिष्टतापूर्वक किया, अपने सबसे मुश्किल क्षणों में भी उन्होंने खुद को बेहद गरिमापूर्ण रखा।
 
हमारे जीवन के सिद्धांत और आदर्श अक्सर हमारे धर्म, संस्कृति और इतिहास से जुड़ी कहानियों और ग्रंथों में समाहित होते हैं। भारतीय संस्कृति की विशेषता यह है कि यह हमें जीवन को समझने, उसे सही दिशा में जीने और सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। गीता, रामायण, हिंदू धर्म और हिंदुस्तान…ये सभी तत्व हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और हर एक का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है।
 
हमारे जीवन में गीता और रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का एक गहरा प्रभाव है। गीता, जो हमें भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों के माध्यम से जीवन के सही दिशा में चलने की राह दिखाती है, हमसे कहती है कि हर कार्य को अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य भावना से किया जाए, बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की आशा के। यही उस जीवन का आदर्श है, जिसमें हम अपने कर्मों पर ध्यान केंद्रित करते हुए फल की इच्छा को छोड़ देते हैं। यही भारतीय जीवन दर्शन का सार है।
 
रामायण में भगवान राम के जीवन को आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया गया है। रामायण हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ और संघर्ष हमारे मार्ग में आते हैं, लेकिन हमें कभी भी सत्य, धर्म और न्याय से विचलित नहीं होना चाहिए। भगवान राम ने अपने जीवन में जो संघर्ष किए, वह हमें यह बताता है कि धर्म की राह पर चलना कभी आसान नहीं होता लेकिन यह निश्चित रूप से हमारी आत्मा को शुद्ध करता है और हमें जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद करता है।
 
हिंदू धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। यह हमें न केवल आध्यात्मिकता की दिशा दिखाता है, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन के हर पहलू में सच्चाई, शांति और संतुलन बनाए रखने की सलाह देता है। यह धर्म हर व्यक्ति को आत्मा की पहचान करने और उसे परमात्मा से जोड़ने का मार्ग बताता है।
 
हिंदू धर्म में हमें यह समझाया जाता है कि हमारा जीवन केवल भौतिक सुख और भोग के लिए नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है। इसके जरिए हम न केवल खुद को बल्कि पूरे ब्रह्मांड को समझने का प्रयास करते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार की साधनाएँ, पूजा-पाठ और ध्यान के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और परमात्मा से मिलन की प्रक्रिया होती है।
 
भारत एक ऐसा देश है जहाँ गीता और रामायण के आदर्श केवल किताबों तक सीमित नहीं हैं बल्कि यह हर भारतीय के जीवन में कहीं न कहीं गहरे रूप से समाहित हैं। यहाँ की संस्कृति, सभ्यता और परंपराएँ हमें इस बात का अहसास दिलाती हैं कि हम न केवल भौतिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी एक समृद्ध राष्ट्र हैं। हमारे देश की महानता यही है कि यहाँ पर अनेक धर्मों और संस्कृतियों का संगम हुआ है और हर संस्कृति और धर्म को सम्मान देने की परंपरा है।
 
भारत में हर जगह विविधता दिखाई देती है। यहाँ पर हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और इस्लाम, क्रिश्चियनिटी आदि धर्मों का भी प्रभाव है और सभी धर्मों को यहां सम्मान प्राप्त है। यही कारण है कि भारतीय समाज की विविधता को न केवल स्वीकार किया गया है बल्कि इसे एक ताकत के रूप में देखा गया है। यही भारत की विशेषता है..यहाँ हर धर्म, जाति और समुदाय को समान रूप से प्यार और सम्मान दिया जाता है।
 
हमारे देश हिंदुस्तान का सौभाग्य यह है कि यहाँ पर हमें गीता का ज्ञान, रामायण के आदर्श और हिंदू धर्म के सिद्धांतों का पालन करने का अवसर मिला है। इन ग्रंथों ने हमें जीवन जीने का तरीका सिखाया और भारतीय संस्कृति की पहचान को बनाए रखने में मदद की। 
 
हिंदुस्तान का इतिहास हमें यह बताता है कि हमने समय-समय पर अनेक संघर्षों का सामना किया लेकिन हर बार हम अपने धर्म, संस्कृति और आदर्शों के साथ खड़े रहे। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो या देश की रक्षा का समय, हमारे सामने कभी भी किसी प्रकार का डर या संकोच नहीं आया। हम अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति समर्पित रहे हैं, और यही हमारी शक्ति और महानता है।
 
हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति ने न केवल हमें एक समाज के रूप में एकजुट किया है बल्कि यह हमें एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है। गीता और रामायण हमें यह सिखाते हैं कि हमें अपने जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए, दूसरों के प्रति करुणा, प्यार और सम्मान रखते हुए हमें अपने कर्तव्यों का पालन भी करना चाहिए।
 
किसी भी राष्ट्र का गौरव उसकी संस्कृति, धर्म और आदर्शों से जुड़ा होता है और हिंदुस्तान इन सबका प्रतीक है। गीता से प्राप्त ज्ञान, रामायण से प्रेरित जीवन और हिंदू धर्म की गहरी समझ, यही हमारे जीवन के मूल सिद्धांत हैं। यही कारण है कि हमें अपने धर्म, संस्कृति और आदर्शों से जुड़े रहकर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।
 
सबसुं प्यारो सबसुं न्यारो, म्हारो मरुधर देश…
भोला भाला मिनख मानवी, सीधो सादो भेष….
 
-क्या आप मानते हैं कि हिंदुस्तान की पवित्र धरती पर जन्म लेना हमारा सौभाग्य है?
 
-क्या आप मानते हैं कि भगवद गीता और रामायण जैसे ग्रंथ जन-जन के हृदय में समाए हुए हैं और आज भी हमें प्रेरणा एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हैं?
 
 
जय हिंद
 
हृदय की कलम से
 
आपका 
धनंजय सिंह खींवसर