रविवार का सदुपयोग – अंश : 113 वाँ


रविवार का सदुपयोग 

 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश : 113 वाँ 
 
दीपावली: भारत की धर्मप्राण आत्मा का प्रतिनिधि पर्व
 
दीपोत्सव की रोशनी, सबके जीवन में हो साकार।
मंगलमय हो सबके लिए, यह पावन दीप त्योहार।
 
आप सभी को पांच दिन तक पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले प्रकाश-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
 
दीपावली न केवल भारत का सबसे लोकप्रिय त्योहार है बल्कि यह रोशनी, उल्लास और एकता का शाश्वत प्रतीक भी है। इस पर्व का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हमें भारत के गौरवशाली धार्मिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों की याद दिलाता है। दीपावली केवल दीयों से घरों को रोशन करने का पर्व नहीं है बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय और अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा का पर्व है।
 
दीपावली का सबसे बड़ा धार्मिक संदर्भ भगवान राम के जीवन से जुड़ा हुआ है। रामायण के अनुसार जब भगवान राम चौदह वर्षों के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे तब नगरवासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए थे। तभी से दीपावली का यह पर्व अच्छाई की जीत और भारत की धर्मप्राण आत्मा का प्रतीक माना जाता है। राम केवल एक आदर्श राजा नहीं बल्कि मर्यादा और सत्यनिष्ठा के प्रतीक भी हैं। 
 
भगवान राम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा जाता है अर्थात उन्होंने हर स्थिति में मर्यादा और कर्तव्य का पालन किया। उनका वनवास इस आदर्श का उत्कृष्ट उदाहरण है जहां उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए राजसुख का त्यागकर जंगल का कठिन जीवन चुना। उनका यह त्याग आज भी हमें सिखाता है कि कठिनाइयों में अपनों के प्रति निष्ठा और अपने दायित्वों का पालन जीवन को उज्ज्वल बनाता है। दीपावली पर जलाए जाने वाले दीपक हमें यही याद दिलाते हैं कि सच्चा प्रकाश हमारे भीतर के अंधकार, अहंकार, स्वार्थ और छल को दूर करने से आता है।
 
भगवान राम का जीवन हमें यह सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखना चाहिए। वनवास के दौरान माता सीता का अपहरण और युद्ध की कठिन चुनौतियाँ उनके धैर्य की परीक्षा थीं। परंतु उन्होंने कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया और हर निर्णय संयम और विवेक से लिया। दीपावली के अवसर पर हमें प्रभु श्री राम के इस गुण को आत्मसात करने की प्रेरणा मिलती है कि कठिन समय में भी आत्मविश्वास और धैर्य बनाए रखना ही सच्ची विजय है।
 
आज जब चुनौतियाँ और तनाव हमारे सामने खड़े होते हैं, तब भगवाम राम के धैर्य से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन की कठिनाइयों को सफलतापूर्वक पार कर सकते हैं। दीपों की रोशनी का महत्व यही है कि चाहे अंधकार कितना ही गहरा क्यों न हो, उम्मीद और धैर्य का प्रकाश उसे मिटा सकता है।
 
भगवान राम एक आदर्श पुत्र, पति, पिता भाई, सखा, सेवक एवं राजा के रूप में हमारे प्रेरक एवं मार्गदर्शक हैं। वे मानव मूल्यों के शाश्वत प्रतीक है और उनका चरित्र आज भी हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में भी समानता, करुणा और सत्य जैसे मूल्यों का पालन करें।
 
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विचारधारा में भगवान राम केंद्रीय स्थान रखते हैं। वे भारतीय समाज की नींव माने जाते हैं। बीजेपी का मानना है कि रामराज्य की स्थापना यानी ऐसा समाज जिसमें हर व्यक्ति का सम्मान हो और हर जरूरतमंद को सहारा मिले, आज भी प्रासंगिक है। यही कारण है कि पार्टी अपने नीतिगत कार्यक्रमों में भी रामायण के आदर्शों को लागू करने का प्रयास करती है।
 
अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर न केवल धर्म और आस्था का केंद्र है बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी है। इस मंदिर के निर्माण का उद्देश्य केवल एक धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं है बल्कि यह भारतीय सभ्यता के गौरव को पुनः स्थापित करने का भी प्रतीक है। यह मंदिर भारतीय जनता के उस संकल्प की कहानी कहता है जो उन्होंने वर्षों तक अपनी आस्था और संस्कृति की रक्षा के लिए रखा। इस मंदिर से आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी कि धर्म, संस्कृति और नैतिकता को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया जाना चाहिए।
 
दीपावली केवल अपने घरों में खुशियां मनाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि जरूरतमंदों के जीवन में भी उजाला फैलाना जरूरी है। इसी उद्देश्य को लेकर खींवसर फाउंडेशन का प्रोजेक्ट ‘लिटिल हैप्पीनेस’ जरूरतमंद परिवारों के बीच उत्सव की रौनक फैलाने का प्रयास कर रहा है। इस पहल के अंतर्गत 500 ‘खुशियों के किट’ तैयार किए गए हैं, जिनमें पटाखे, मिठाइयाँ और अन्य उत्सव सामग्री शामिल है। इन किट्स का वितरण राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में उन परिवारों को किया जा रहा है जो आर्थिक कठिनाइयों के कारण त्योहार मनाने में सक्षम नहीं होते।
 
दीपावली न केवल धार्मिक परंपरा का पर्व है बल्कि यह आत्मा के भीतर जागरूकता, प्रेम और करुणा का दीप जलाने का अवसर भी है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हम न केवल अपने घरों में बल्कि समाज के हर कोने में खुशियां फैलाएं।
 
अयोध्या के राम मंदिर से लेकर खींवसर फाउंडेशन के ‘लिटिल हैप्पीनेस’ प्रोजेक्ट तक हर पहल हमें इस बात का एहसास कराती है कि दीपावली केवल हमारा ही नहीं, बल्कि पूरे समाज का त्योहार है। आइए, इस दिवाली हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि जहां भी अंधकार होगा, वहां हम मिलकर रोशनी फैलाएंगे और जरूरतमंदों के जीवन में भी खुशियों का दीप जलाएंगे।
 
– क्या आप मानते हैं कि भगवान राम का चरित्र भारत की धर्म प्राण आत्मा का प्रतिनिधि चरित्र है और प्रत्येक भारतवासी का प्रेरक व मार्गदर्शक है।
 
– क्या आप मानते हैं कि प्रभु श्री राम द्वारा आदर्श के रूप में प्रस्तुत किए गए जीवन मूल्यों को आज भी अपनाया जा सकता है और पुनः एक बार रामराज्य की स्थापना की जा सकती है?
 
जय हिंद
 
हृदय की कलम से
 
आपका 
धनंजय सिंह खींवसर