रविवार का सदुपयोग– अंश - 102 वां


रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश – 102 वां 
 
हमारे खिलाड़ियों पर हमें गर्व है।
नई ऊर्जा के साथ लौटेंगे हमारे खिलाड़ी
 
जीत और हार खेल का हिस्सा है, खिलाड़ियों के हौसले को नमन!!
 
खेल हमें जीना सिखाते हैं,
हर हाल में खुश रहना सिखाते हैं।
जीत या हार से बढ़कर है जज़्बा,
ये धारा के विरुद्ध बहना सिखाते हैं।
 
ओलंपिक खेल पेरिस 2024 में पदक जीतने वाले सभी भारतीय खिलाड़ियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देने के साथ ही मैं उन खिलाड़ियों को भी हृदय से शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं जिन्होंने जी तोड़ प्रयास किए पर किसी कारणवश सफलता से वंचित रह गए। हार या जीत खेल का हिस्सा है और इससे निराश होने के बजाय हमें एक बार फिर से प्रयास करने का जज्बा अपनाना चाहिए, सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।
 
गिरते हैं शह सवार ही मैदान -ए -जंग में,
वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चले ।
 
ओलंपिक खेल पेरिस 2024 के मेडल टैली में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो अब तक भारतीय एथलीटों ने पेरिस 2024 ओलंपिक में कुल छह पदक जीते हैं, जिसमें तीन शूटिंग (कांस्य) में मिले है। मनु भाकर जी ने शूटिंग एकल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता तो वही श्री सबरजोत जी के साथ मिलकर शूटिंग डबल में भी देश के लिए कांस्य पदक पर निशाना साधा। श्री स्वप्निल जी कुसाले ने भी शूटिंग प्रतियोगिता में कांस्य पर निशाना साधा। एक कांस्य पदक भारतीय हॉकी टीम ने जीता है। जबकि पुरुषों के भाला फेंक में श्री नीरज चोपड़ा जी ने रजत पदक हासिल करके भारत को पांचवां मेडल दिलाया। इसके अलावा भारतीय पहलवान श्री अमन सहरावत ने भी पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती इवेंट में कांस्य पदक जीत कर भारत का छठा पदक सुनिश्चित किया।
 
देश के सभी खिलाड़ियों ने अपनी तरफ से बेहतरीन प्रदर्शन किया और कई प्रतियोगिताओं में हम बहुत कम अंतर से पदक जीतने से वंचित रह गए। खिलाड़ियों के जीवन में हार और जीत खेल के अभिन्न अंग होते हैं। पिछली बार जब भारतीय ओलंपिक दल वापस भारत लौटा था, उस समय माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने खिलाड़ियों से मुलाकात की और एक सुविचार उनके समक्ष रखा। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि “जीत को कभी भी सिर पर चढ़ने मत दो और हार को कभी दिल में बसने मत दो।” यह संदेश हर खिलाड़ी को अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। 
 
हमारे खिलाड़ी न केवल युवा हैं, बल्कि प्रतिभाशाली हैं और मुझे ही नहीं बल्कि 140 करोड़ देशवासियों को यह विश्वास है कि हमारे ये युवा खिलाड़ी अगली बार दुगनी ताकत और ऊर्जा के साथ मैदान उतरेंगे और इस बार परिणाम उनके पक्ष में रहेगा। 
 
पेरिस ओलंपिक के यह खेल यूं तो हमें हमारे खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए हमेशा याद रहेंगे, लेकिन इस ओलंपिक में हमारे देश की प्रतिभाशाली रेसलर विनेश जी फोगाट के दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से फाइनल प्रतियोगिता से बाहर होने की टीस भी हमारे मन में रहेगी। विनेश जी फोगाट ने अपने बेहतरीन खेल के दम पर सभी खिलाड़ियों को रेसलिंग ट्रैक पर धूल चटाई, लेकिन शायद इस बार किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया। पूरा देश यह उम्मीद लगाए बैठा था कि विनेश जी फोगाट देश के लिए एक स्वर्णिम इतिहास रचेंगी। शायद हम सभी करोड़ों देशवासियों को इसके लिए अभी कुछ ओर इंतजार करना पड़ेगा।
 
यह केवल विनेश जी फोगाट के लिए नहीं बल्कि पूरे देशवासियों के लिए भावुक कर देने वाले क्षण हैं, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि विनेश जी फोगाट को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। आप हमारे लिए पहले भी किसी गोल्ड से कम नहीं थी और आगे भी आप इसी तरह देश के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी।
 
जब विनेश जी फोगाट के बाहर होने की खबर से पूरे देश में मायूसी छा गई तो उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विनेश जी फोगाट के लिए ट्वीट करते हुए लिखा कि ”‘विनेश आप चैंपियंस की चैंपियन हो। आप भारत का गौरव हो और हर एक भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत हैं। आज का यह घटनाक्रम दर्द देता है। काश कि जो दर्द और दुख मैं आज महसूस कर रहा हूं, वह शब्दों में बयान हो सकता। साथ ही मैं जानता हूं कि आप वापसी करेंगी। यह हमेशा से आपका स्वभाव रहा है कि आप चुनौतियों से सीधा भिड़ती हैं। मजबूती से वापसी करो! हम सब आपके साथ हैं।”
 
खेलों को निरंतर प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से खींवसर फाउंडेशन के “प्रोजेक्ट खेलो मारवाड़’ के अंतर्गत हम खिलाड़ियों को सर्वांगीण विकास हेतु सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध हैं ताकि खेलों में हमारा देश राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता के नए प्रतिमान स्थापित कर सके। 
 
श्रद्धेय पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी जी वाजपयी जी की इन प्रेरक पंक्तियों के साथ में इस ब्लॉग का समापन करना चाहूंगा…!
 
क्या हार में, क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं
कर्तव्य पथ पर जो भी मिला, यह भी सही, वह भी सही।
वरदान नहीं मांगूगा, हो कुछ पर हार नहीं मानूँगा…
 
एक बार फिर देश के लिए पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को बधाई एवं शुभकामनाएं…
 
जय हिंद
 
हृदय की कलम से।
 
आपका 
धनंजय सिंह खींवसर