रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश – 100 वां
सूक्ष्म ब्लॉग – 100 सप्ताहों का यह संवाद अनेकों खट्ठी मिट्ठी यादों का संयोजन है। ईश्वरीय अनुकंपा की सकारात्मक और रचनात्मक परिणीति है रविवारीय ब्लॉग
आप सभी से संवाद स्थापित करने एवं आपके साथ बने आत्मीय संबंध को अधिक प्रगाढ़ करने के उद्देश्य के साथ शुरू किए गए रविवारीय ब्लॉग का यह 100 वाँ अंश है। हर रविवार को मेरा प्रयास रहता है कि मैं एक नए विषय के साथ आपके समक्ष उपस्थित रहूं और मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि ब्लॉग की यह यात्रा आज 100 वें पायदान पर पहुंच चुकी है। इस यात्रा में मिले आपके अटूट प्रेम, स्नेह और आशीर्वाद का ही परिणाम है कि लगातार 25 महीने यानि लगभग 100 सप्ताह से यह यात्रा अनवरत रूप से जारी है, जिसके परिणाम स्वरूप आज आप और हम इस शतकीय साझेदारी के साक्षी बना रहे हैं।
मेरा हमेशा प्रयास रहा है कि रविवारीय ब्लॉग के माध्यम से विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और समसामयिक विषयों पर अपने विचार आपके समक्ष रखूं। आप सभी के आशीर्वाद व समर्थन से रविवारीय ब्लॉग के 100वें अंश तक का यह सफर न केवल कई खट्टे मीठे अनुभवों से भरा रहा बल्कि इस ब्लॉग के लिए किए गए अध्ययन से कई नई जानकारियों से रूबरू होने का अवसर भी मिला।
अब तक के रविवारीय ब्लॉग की इस यात्रा में विविध विषयों पर मैंने अपने विचार आपके समक्ष रखें। मेरा मानना है कि अधिकांश विषयों पर आप मेरी बात से सहमत रहें होंगे और हो सकता है कि कुछ विषयों पर आप मेरी बात से असहमत भी रहे होंगे, लेकिन आपसी विचारों के आदान-प्रदान का जो यह सिलसिला शुरू हुआ, उसने आपके और हमारे बीच के रिश्तों को ओर अधिक मजबूत और बेहतर करने का काम किया है।
आज पूरा विश्व तेजी से तकनीकी युग की ओर लगातार बढ़ रहा हैं, वह हमें कई नए अनुभव दे रहा है। ऐसे में तकनीकी वातावरण के मध्य विचारों के आदान-प्रदान का यह एक सशक्त माध्यम भी बना है। समय-समय पर सोशल मीडिया और दूरभाष के जरिए मेरे ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रियाओं को जानने का सुअवसर भी मुझे प्राप्त हुआ। आपके मार्गदर्शन, सुझावों और प्रोत्साहन से मैं अपनी लेखनी को संवारने की कोशिश कर रहा हूं। रविवारीय ब्लॉग की इस स्वर्णिम यात्रा में जहां मुझे कई वरिष्ठजनों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, वहीं कुछ युवा साथियों के विचारों को भी करीब से जानने का अवसर मिला है। अपने ब्लॉग पर मिलने वाली सभी सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का मैंने हृदय से स्वागत किया है और आगे भी करता रहूंगा क्योंकि इससे मुझे अपनी लेखनी को बेहतर बनाने में मदद मिलती है ।
आज जब मैं पिछले दो वर्षो की इस यात्रा के कई खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करता हूं तो सोचता हूँ कि यदि मैं संवाद की यह यात्रा शुरू नहीं करता तो शायद मैं अनुभव की एक बड़ी पाठशाला से वंचित रह जाता।
मेरी ओर से लिखेंगे रविवारीय ब्लॉग के हर विषय पर जिस मजबूती के साथ आप लोगों ने अपनी राय और विचार प्रकट किया, उसमें मुझे हमेशा नई ऊर्जा देने का काम किया। मैने भी प्रयास किया कि ब्लॉग का हर विषय आमजन की भावनाओं से जुड़ा हो और उस ब्लॉग के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण हो जिससे हम सभी मिलकर अपने गांव, जिले, प्रदेश और देश को समृद्ध एवं खुशहाल बना सके। मेरा यह विनम्र प्रयास रहा है कि हमारे आसपास घटित होने वाली समसामयिक घटनाओं और मुद्दों को मैं अपने ब्लॉग का विषय बनाऊं ताकि मैं सीधे तौर पर आप सबसे जुड़ सकूं, बात कर सकूं और हम समस्याओं के समाधान की दिशा में सामूहिक विचार-विमर्श कर सकें। मुझे खुशी है कि आप सभी के सहयोग से मेरा यह प्रयास बहुत हद तक सफल रहा है।
मेरी कोशिश रहेगी कि मैं जीवन के इंद्रधनुष के हर रंग को अपने ब्लॉग का विषय बनाऊं। चाहे राष्ट्रीय राजनीति हो या अंतरराष्ट्रीय मंच। चाहे गांवों की समस्याएं हो या शहरों में दिन-प्रतिदिन उपस्थित होने वाली चुनौतियां, चाहे बात बच्चों और युवाओं के हितों की हो या महिलाओं और बुजुर्गों के मान सम्मान की। मैं अपनी लेखनी को एक सशक्त माध्यम के रूप में प्रयुक्त करूंगा। आप सबके साथ और विश्वास से विचारों के आदान-प्रदान का यह खूबसूरत सिलसिला भविष्य में भी इसी तरह जारी रहेगा और हम शब्दों के इस सुहाने सफर को तय करते हुए भविष्य के सुनहरे सपनों की तस्वीर में रंग भरेंगे।
इस खूबसूरत सफर में मुक़ाम और भी हैं…
कलम से मिलने वाले पैग़ाम और भी हैं…
जय हिंद
हृदय की कलम से।
आपका
धनंजय सिंह खींवसर