रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश- सैंतीसवाँ
कर्तव्यनिष्ठ वोटर बने, वोट बैंक नहीं
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सभी की भागीदारी होना आवश्यक है और जब तक है देश का मतदाता जागरूक होकर अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे तब तक हम मजबूत लोकतंत्र का निर्माण नहीं कर सकते। इसी अवधारणा को लेकर प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने भी देश के मतदाताओं से आह्वान किया है कि वह वोट बैंक बनाने की जगह कर्तव्यनिष्ठ वोटर बन लोकतंत्र को मजबूत करें।
पूरा देश आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। देश को आजादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। हमारा देश पूरे विश्व में सबसे मजबूत लोकतंत्र के रूप में अपनी पहचान रखता है, पिछले कुछ समय से हमारे देश के मतदाताओं में जागरूकता आई है और अब वह विकास के नाम पर राजनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं जो निश्चित रूप से एक शुभ संकेत है।
हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राजस्थान दौरे के दौरान आबूरोड में एक सभा को संबोधित करते हुए बेहतरीन संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जिस समाज को वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है उनको सबसे ज्यादा नुकसान होता है। जो भी किसी का वोटबैंक बना उनका विकास रुक गया, इसलिए मतदाता को कर्तव्यनिष्ठ वोटर बनिए।
अब तक का इतिहास रहा है कि जो भी समाज किसी पार्टी से बंध कर उसका वोट बैंक बना है, उसका विकास पुरी तरह से रुक गया। राजनीतिक पार्टियों ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और अपनी राजनीति चमकाने के लिए उन समाज को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया और कभी भी उनके विकास की सोच नहीं रखी। समाज के तथाकथित ठेकेदार पूरे समाज को गिरवी रख कर अपना व्यक्तिगत विकास करते हैं। इस तरह की सोच रखने वाले राजनीतिक पार्टियां यह सोचती है कि यह समाज हमेशा हमारे साथ जुड़ा रहेगा चाहे उनका विकास हो या ना हो, ऐसे में हम सभी को अब विकास की राजनीति को समझना होगा।
राजनितिक क्षेत्र में जनप्रतिनिधि विभिन्न पदों पर आसीन होते हैं तो उन्हें उस पद की शपथ दिलाई जाती है और वह संविधान को साक्षी मानकर शपथ भी लेते हैं, लेकिन जब पदभार ग्रहण करते हैं तो वह इस सफर को पूरी तरह से भूल जाते हैं। राजनेताओं को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए उससे शपथ की पालना करनी चाहिए ताकि उस पद की भी गरिमा बनी रह सके।
शैक्षणिक माहौल के साथ-साथ पिछले कुछ समय से युवा मतदाताओं की सोच में निश्चित रूप से परिवर्तन आया है लेकिन जरूरत है कि सभी मतदाता अपनी मताधिकार की शक्ति को समझने की। मतदाता वोट बैंक बनने की बजाय कर्तव्यनिष्ठ वोटर की भूमिका निभाएं , ताकि देश का समग्र विकास हो सके।
1.क्या आप भी मानते हैं कि वोट बैंक की राजनीति से समाज का विकास ठप्प हो जाता है ?
2. क्या वोट बैंक की बजाय कर्तव्यनिष्ठ वोटर बनना वर्तमान समय की मांग है ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर