रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश- पैंतालिसवाँ
राजस्थान में बिजली बिल “राहत” देने की जगह “आहत” कर रहें है।
महंगाई राहत के नाम पर प्रदेश की जनता को लाइनों में लगाने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपनी गारंटी पर ही खरा नहीं उतर पा रही है। सरकार ने प्रदेश के उपभोक्ताओं के बिजली के बिलों में जो करंट दिया है, उसने महंगाई राहत कैंपों में दिए जाने वाले गारंटी कार्ड की पोल खोल दी है। अखबारों में और टीवी चैनलों में प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों से करोड़ों रुपए का विज्ञापन करने वाली कांग्रेस सरकार हकीकत में प्रदेश की जनता को आहत करने का काम कर रही है। हालात यह है कि जब पहले राज्य सरकार ने 50 यूनिट बिजली का बिल माफ किया था तो कई घरों में बिजली के बिल जीरो आ रहे थे लेकिन अब जब 100 यूनिट बिजली के बिल माफ करने की गारंटी दी है तो प्रदेश के हर उपभोक्ता को तिगुना बिजली का बिल भरना पड़ रहा है।
प्रदेश के किसान भी बिजली की अनियमितता से बुरी तरह परेशान है। हालात यह है कि कृषि के लिए 3 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है और जो बिजली मिल रही है उसमें बार-बार ट्रिपिंग होने , कम वोल्टेज आने के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। समय पर ट्रांसफार्मर नहीं बदलने से किसानों के खेतों में खड़ी फसलें सिंचाई के अभाव में चौपट हो रही है, लेकिन जमीनी हकीकत से कोसों दूर प्रदेश की कांग्रेस सरकार खुद ही अपनी वाहवाही लूटने में व्यस्त है।
राजस्थान प्रदेश में बिजली की अपार उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने नई सौर ऊर्जा नीति के माध्यम से पूरे प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया गया और उस समय प्रदेश बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा था, लेकिन दुर्भाग्य से जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश के उपभोक्ता लगातार बिजली का संकट झेल रहे हैं। अब राज्य सरकार बिजली कंपनियों के घाटों को पूरा करने के लिए प्रदेश की जनता से फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बड़ी वसूली कर रही है।
“महंगाई राहत कैंप” के माध्यम से पूरे प्रदेश के लोगों को लाइनों में खड़ा कर दिया गया और उन्हें राहत के गारंटी कार्ड थमा दिए गए। प्रदेश के उपभोक्ता यह गारंटी कार्ड लेकर घर पहुंचे तो उन्होंने यह सोचा कि इस बार कहीं ना कहीं बिजली के बिल में राहत मिलेगी, शायद उनकी सोच गलत थी और इस बार जिस तरह से राज्य सरकार ने बिजली के बिलों में प्रति यूनिट 45 पैसे का अतिरिक्त फ्यूल सरचार्ज लगाया है उससे आम उपभोक्ताओं को 2 से 3 गुना अधिक बिजली का बिल भरना पड़ रहा है।
चुनाव से पहले बिजली के दाम नहीं बढ़ाने का दावा करने वाली कांग्रेस हमेशा वादाखिलाफी करती रही है। चाहे वह बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की बात हो, चाहे वह किसानों के ऋण माफी के बात हो और अब जिस तरह से बिजली के बिल में करंट दौड़ रहा है उसने प्रदेश की जनता को कांग्रेस के वायदों की जमीनी हकीकत का आईना दिखाया है।
प्रदेश में जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, जैसलमेर जिलों में वृहद स्तर पर सौर ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है , लेकिन सरकार ने सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की बजाए कंपनियों को फायदा पहुंचाया है। इसे भी एक बार फिर अब प्रदेश में बिजली की आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों से बिजली पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
1. क्या आप भी मानते हैं कि महंगाई राहत के के नाम पर कांग्रेस जनता के साथ छलावा कर रही है ?
2. फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बिजली के बिलों में बढ़ोतरी कितना उचित है?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर