रविवार का सदुपयोग – अंश-पेंसठवाँ


रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास 
 
अंश-पेंसठवाँ
 
भारतीय संविधान दिवस 
 
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र ‘भारत’ के समस्त नागरिकों को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..!
 
आज से ठीक 74 साल पहले 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिनों की मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ था और इसे संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था, इसलिए इस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। बाद में 26 जनवरी 1950 को संविधान पूरे देश पर लागू किया गया।
 
सदियों पुरानी गुलामी की जंजीरों को तोड़कर बाहर निकलने के बाद टूटे देश को संविधान ने पुनः खड़ा होने का संबल दिया और एक सशक्त राष्ट्र बनने हेतु मार्गदर्शन प्रदान किया। हमारा संविधान ही है, जिसने आजादी के इतने वर्षों बाद भी इतनी सारी विभिन्नताओं के बावजूद हमें आपस में जोड़े रखा। कहना गलत न होगा कि भारत की लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की सफलता का बड़ा कारण हमारा संविधान ही है।
 
किसी भी देश के लिए संविधान उस देश की आत्मा होती है। यह शासन व्यवस्था को नियंत्रित करने के साथ-साथ अपने नागरिकों को उनके अधिकारों व कर्तव्यों से भी अवगत कराता है। यह भारत जैसे देशों के लिए गणतांत्रिक राष्ट्र का आधार है और इस गणतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश प्रदान करता है। देश के शासन-प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियमों का निर्माण व निर्देशन भी संविधान द्वारा ही किया जाता है। लोकतांत्रिक राष्ट्रों में संविधान जनता को सर्वोच्च शक्ति प्रदान करती है, जिससे एक सामान्य नागरिक भी सत्ता के शीर्ष पर पहुंच सकता है।
 
विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान होने का गौरव प्राप्त हमारे संविधान में कठोरता और लचीलेपन का बेहतरीन मिश्रण होने के साथ ही संघात्मक और एकात्मकता का भी मिश्रण है। संसदीय संप्रभुता, न्यायिक सर्वोच्चता, कानून का शासन, एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका हमारे संविधान की प्रमुख विशेषताएं हैं, जो भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में बनाए रखती है।
 
यूं तो संविधान ने हमें असीम शक्तियां दी गई है, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण शक्ति “मतदान” की है। मतदान ही वह शक्ति है, जो हमें एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में रहने की अनुभूति देता है। आज चाहे राजा हो या रंक, अमीर हो या गरीब, महिला हो या पुरुष, चाहे किसी भी जाति, समुदाय, धर्म, लिंग या विचारधारा से संबंध रखता हो, सभी को अपना एक मत देने का अधिकार है। कल हम सभी ने सामूहिक रूप से लोकतंत्र के इस महापर्व में अपने मताधिकार का प्रयोग करके हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई। लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व में जिस तरह से हम सभी ने मतदान की संवैधानिक शक्ति का पूरे जोश और उत्साह के साथ प्रयोग किया, वह संविधान के प्रति हमारी कर्तव्यनिष्ठा एवं संकल्पबद्धता को दर्शाता है। 
 
भारतीय संविधान द्वारा हमें कुछ मौलिक अधिकार दिए गए हैं, तो साथ ही कुछ कर्तव्यों के बारे में भी विस्तृत रूप से समझाया गया है। हम जितने सजग अपने अधिकारों के प्रति रहते हैं, हमें उतना ही अधिक सजग अपने कर्तव्यों के प्रति भी रहना चाहिए। आज संविधान दिवस के अवसर पर हम सभी को देश के कानूनों का पालन करने और संविधान में दिए गए मौलिक कर्तव्यों को निभाने का भी संकल्प लेना चाहिए। संविधान के सिद्धांतों का पालन करना देश के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। आज के दिन इस प्रण को लेकर हम देश के संविधान निर्माताओं के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। संविधान दिवस की सार्थकता तभी होगी, जब संविधान की उद्देश्यिका के प्रत्येक शब्द को व्यवहार में लाया जाएगा।
 
1. क्या आप मानते है की किसी भी देश के लिए संविधान उस देश की आत्मा होती है?
 
2. क्या आप मानते हैं भारत का संविधान विश्व के संविधानों में सर्वश्रेष्ठ है?
 
हम भारत के लोग..!
 
जय हिन्द | जय भारत |
वन्देमातरम् 🇮🇳
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर