रविवार का सदुपयोग – अंश - पच्चीसवां

 
रविवार का सदुपयोग 
 
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
 
अंश – पच्चीसवां
 
राजनीतिक परिपक्व है “आज का युवा”
 
बदलते समय के साथ राजनीतिक परिवेश में भी लगातार बदलाव आ रहा है और पिछले कुछ समय से जिस परिपक्वता के साथ युवाओं ने राजनीतिक दहलीज पर कदम रखा है, वह निश्चित रूप से आने वाले समय के लिए शुभ संकेत है।
 
भारत देश को युवाओं का देश कहा जाता है, जहां एक ओर देश के युवा हर क्षेत्र में जाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं तो वहीं राजनीतिक क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां जब जब युवाओं को अवसर दिया गया है तो उन्होंने अपनी क्षमता से कई गुना अधिक बेहतर प्रदर्शन भी किया है। 
 
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में लोकतंत्र को जीवित रखने और मजबूत करने के लिए सभी ने सामूहिक रूप से प्रयास किए और इसी का परिणाम है कि आज पूरे देश के 135 करोड़ लोगों की लोकतंत्र के प्रति आस्था है और वर्तमान में युवाओं की बढ़ती परिपक्व राजनीतिक सहभागिता ने राजनीतिक परिदृश्य को व्यापक रूप से बदला है।
 
अब युवाओं पर भारतीय लोकतंत्र की भव्यता को कायम रखने की बढ़ी जिम्मेदारी आ चुकी है क्योंकि आगमी दिनों में जिस प्रकार से प्रदेश और देश के सदनों में जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व में वृद्धि होगी उस से दो गुनी गति से आगमी दिनों में युवाओं के भागीदारी भी बढ़नी सुनिश्चित है। भारत की स्वस्थ लोकतंत्र प्रकिया में सत्तापक्ष ने देश के आगे बढ़ाने के लिए काम किया है तो वहीं विपक्ष ने भी सकारात्मक भूमिका निभाते हुए हमेशा देश की एकता अखंडता के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। इसी स्वस्थ लोकतंत्र की परंपरा को आगे बनाए रखने का जिम्मा अब “युवाओं” के कंधों पर है। ऐसे कई युवा राजनीति को सेवा करने का माध्यम बना चुके है जिससे लोकतंत्र की अत्यंत खूबसूरत तस्वीर उभर कर सामने आ रहीं हैं।
 
बदलते समय के साथ अब राजनीतिक पार्टियों के जिम्मेदारों को भी युवाओं को अधिक अवसर उपलब्ध कराने होंगे, क्योंकि इस तेज और तीव्र रूप से गतिमान विश्व में जिस क्षमता के साथ युवा काम कर रहा है उस क्षमता के अनुरूप पुरानी पीढ़ी के नेता नहीं कर पा रही हैं। अब जनता को परंपरागत राजनीति नहीं बल्कि अग्रणी रहने वाले युवा प्रतिनिधित्व की तलाश रहती है।
 
वर्तमान में हमारा देश संक्रमण काल से गुजर रहा है और इस दौर की मांग को समझते हुए युवाओं को बेहतर विकल्प दिए जाएंगे तो निश्चित रूप से हमारा लोकतंत्र और अधिक मजबूत होगा।
 
1. क्या आप भी मानते हैं कि आज के युवा पूरी परिपक्वता के साथ राजनीतिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं?
 
2.  क्या युवाओं को राजनीति क्षेत्र में अधिक अवसर देने की आवश्यकता है ?
 
हृदय की कलम से ! 
 
आपका 
 
– धनंजय सिंह खींवसर