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अंश-छियालीसवाँ
चंद्रयान 3 – चंद्रमा पर शान से फहराएगा तिरंगा
असफलता एक चुनौती है जिसे स्वीकार कर यदि अपने लक्ष्य की ओर नई ऊर्जा के साथ बढ़ा जाए तो सफलता निश्चित होती है और कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, भारत देश के वैज्ञानिकों ने। चंद्रयान – 2 की असफलता के बाद शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि भारत इतनी जल्दी चंद्रयान-3 का सफल परीक्षण कर पूरे विश्व में एक बार फिर अपनी छाप छोड़ पाएगा। 14 जुलाई को जब चंद्रयान-3 का सफल परीक्षण हुआ तो हर किसी भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया और अब हर किसी को 23 अगस्त का इंतजार है जब चंद्रमा पर तिरंगा लहराएगा।
चंद्रयान-3 के साथ भारत ने एक बार फिर चांद की सतह पर पहुंचने की कोशिश शुरू की है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (ISRO) के वैज्ञानिक 14 जुलाई 2023 की दोपहर खुशी से झूम उठे। ISRO का पिछला मून मिशन ‘चंद्रयान-2’ आखिरी दौर में फेल हो गया था, लेकिन इस असफलता से निराश होने की बजाय “नए भारत” के वैज्ञानिकों ने इसे चुनौती के रूप में लिया और चंद्रयान-3 को पिछली गलतियों से सबक लेकर डिजाइन किया गया है।
अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं लेकिन अब चांद पर सफल लैंडिंग के साथ ही भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। ISRO ने चंद्रयान-3 को कई तरह के टेस्ट से गुजारा है ताकि चंद्रयान-2 जैसी चूक न होने पाए। 2003 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमान अटल बिहारी जी वाजपेयी ने चांद से जुड़े मिशन की घोषणा की थी। ISRO ने 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया। इसके करीब 10 वर्षों बाद एक बार फिर भारत में डीप स्पेस के दूसरे मिशन की शुरुआत की 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया। कुछ तकनीकी कारणों से जब चंद्रयान-2 मिशन असफल हुआ तो हर कोई निराशा में डूबा था, लेकिन प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र जी मोदी ने एक कप्तान के रूप में आगे आकर सभी वैज्ञानिकों को निराश नहीं होने का संदेश दिया और एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ चंद्रयान श्री शुरुआत करने की प्रेरणा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चंद्रयान-2 की असफलता के बावजूद वैज्ञानिकों को गले लगाया तो पूरा देश उस क्षण को देखकर भावुक हो गया।
फ़्रांस दौरे पर गए प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने चंद्रयान-3 लॉन्च की बधाई देते हुए ट्वीट किया. प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने कहा, “चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक शानदार चैप्टर की शुरुआत की है।” श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा,”यह भारत के हर व्यक्ति के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर ले जाते हुए ऊंचाइयों को छू रहा है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनके उत्साह और प्रतिभा को सलाम करता हूं।”
चंद्रयान-3 की मदद से इसरो चंद्रमा पर पानी और खनिज की मौजूदगी की जांच करना चाहता है। अगर दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज मिलता है तो यह विज्ञान के लिए बड़ी कामयाबी होगी। नासा के मुताबिक, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और यहां कई और खनिज संप्रदा मौजूद हो सकती है।चंद्रयान-3 का रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद अपना काम शुरू करेगा। ये रोवर इसरो में बैठे वैज्ञानिकं को चांद की सतह से जुड़ी जानकारियां भेजेगा। रोवर चांद की सतह की बनावट से लेकर पानी की मौजूदगी के बारे में बताएगा।
14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 उड़ान भर चुका है और अगले 42 दिनों में 3,84,000 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए यह चंद्रमा तक पहुंच जाएगा। अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। अब हर किसी को उस पल का इंतजार है जब 23 या 24 अगस्त को चंद्रयान- 3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करते हुए वहां तिरंगा लहराएगा।
1. क्या आप भी मानते हैं कि चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरे विश्व में भारत मान बढ़ाया है ?
2. क्या आप भी मानते हैं कि असफलता में ही सफलता का राज छिपा है?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर