रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश- छप्पनवाँ
नारी शक्ति वंदन
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
जहां स्त्रियों का आदर होता है, वहां देवता रमण करते हैं।
आज ब्लॉग के 56वे अंश में ऐसे एक कदम की बात करना चाहता हूं जो 56 इंच के सीने के बिना लेना संभव नहीं था। आज के ब्लॉग का अंश बहुत विशेष है क्योंकि आज में इसके माध्यम से “रविवार का सदुपयोग” करते हुए एक ऐसे विषय पर अपने विचार साझा करना चाहता हूं जिसने देश को नई दिशा देने का कार्य किया है और यह संभव हुआ है मोदी सरकार के नारी शक्ति को समर्पित मजबूत इरादों और संकल्पों के कारण, “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” के प्रचंड मतों के साथ पास होने पर देश वासियों को बधाई और मोदी जी का हृदय से आभार…!
आदिकाल से भारतीय सनातन संस्कृति में महिलाओं का हमेशा सम्मान आदर और सम्मान के साथ पूजन करने की रवायत रही है और हमेशा महिलाओं ने पुरूषों के मुकाबले अपने आप को सशक्त और योग्य साबित किया है। आज प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी की दूरगामी सोच और महिलाओं के प्रति आदर एवं समर्पण का ही परिणाम है कि देश में लोकतंत्र के पावन मंदिर में देवी स्वरूपा महिला शक्ति को उनका अधिकार मिला है।
देश की नई संसद के पहले ही सत्र की इससे बेहतरीन शुरुआत नहीं हो सकी थी। पिछले कई दशकों से लंबित महिला सम्मान का प्रतीक महिला आरक्षण बिल को बहुमत से पारित कर दिया गया। मैं देश की आधी आबादी को बधाई देना चाहता हुं की आज उन्हें अपना अधिकार मिला है।
महिला आरक्षण को लेकर पिछले कई वर्षों से केवल राजनीति की जा रही थी। आज जो विपक्षी पार्टियां महिला आरक्षण का श्रेय लेने पर आमदा है। शायद वह इस बात को भूल चुके हैं कि पिछले 27 साल में 4 सरकारों ने 10 बार प्रयास किया लेकिन यह बिल केवल लोकसभा की फाइलों में ही दबा रहा। तत्कालीन यूपीए सरकार जब महिला आरक्षण का बिल लेकर आई तो उन्हीं के गठबंधन के एक दल ने इसका विरोध किया , इसके बाद यह बिल लोकसभा में पारित नहीं हो सका। आज पीएम श्रीमान नरेंद्र मोदी जी की पहल पर आज यह बिल दोनो सदन में दो तिहाई से अधिक प्रचंड मतों से पारित हुआ है।
नई संसद के पहले ही सत्र में सबसे पहले महिला आरक्षण बिल सदन में रखा गया।20 सितंबर को लोकसभा में करीब सात घंटे की चर्चा के बाद यह बिल पास हुआ। इसके पक्ष में 454 मत पड़े, जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दिया।लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल पास हो गया है। इस बिल के पक्ष में 215 वोट पड़े जबकि विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। राज्यसभा से यह बिल पास होते ही लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है।
20 और 21 सितंबर को हम सभी ने एक नया इतिहास बनते देखा है और आने वाली हर पीढ़ी तक इस दिवस की और इस निर्णय की चर्चा होगी। लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी के लिए, इस कानून के लिए भाजपा तीन दशक से कोशिश कर रही थी। कभी-कभी किसी निर्णय में देश का भाग्य बदलने की क्षमता होती है। हम ऐसे ही निर्णय के साक्षी बने हैं, जिस बात को देश को पिछले कई दशकों से इंतजार था, वो सपना अब साकार हुआ है। यह देश के लिए खास समय है।
यह कोई सामान्य कानून नहीं है। यह नए भारत का उद्घोष है। यह बहुत बड़ा और मजबूत कदम है। महिलाओं का जीवन सुधारने के लिए जो गारंटी मोदी जी ने दी थी, उसका यह प्रत्यक्ष प्रमाण है। यह भाजपा का कमिटमेंट ही था जिसके कारण हर बाधाओं को पार किया गया। जब नीयत पवित्र हो तो परेशानियों को पार करके भी सकारात्मक परिणाम सामने आते है ओर यह बिल इसी का एक जीवंत उदाहरण है।
महिला आरक्षण के लिए पेश विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ के पास हो जाने के बाद अब राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। आज देश तेजी से नव निर्माण की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है, नवनिर्माण की इस यात्रा में अब महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी होगी। देश की लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी और इन सीटों पर सिर्फ महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकेंगी।
आज देश की हर नारी का आत्मविश्वास आसमान छू रहा है। पूरे देश की माताएं, बहनें बेटियां खुशियां मना रही हैं, और प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी को आशीर्वाद दे रही हैं। करोड़ों माताओं बहनों के सपने आज साकार हुआ है और यह सभी के लिए गौरव करने का दिन है।’
1. क्या आप भी मानते हैं कि “नारी शक्ति वंदन विधेयक” महिला सशक्तिकरण की दिशा में सर्वश्रेष्ठ कदम है?
2. क्या लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से देश नवनिर्माण के नए आयाम स्थापित करेगा ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर