रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश-इकावनवाँ
परिवर्तन के लिए संघर्ष की आग में स्वयं को झोंकना जरूरी है।
Nothing is Impossible. impossible means ” I aM Possible “
किसी लेखक ने शायद यह पंक्तियां जीवन के महत्वपूर्ण अनुभव के बाद ही लिखी होगी। व्यक्ति चाहे तो किसी भी असंभव को संभव करके दिखा सकता है, लेकिन इसके लिए उसे स्वयं को उस कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित करना पड़ता है। व्यवस्थाओं में जब भी परिवर्तन की शुरुआत होती है तो उसकी राह काफी मुश्किल होती है, लेकिन इस परिवर्तन यात्रा की सफलता के लिए स्वयं को संघर्ष की आग में झोंकना पड़ता है।
इस बात को मैंने अपने निजी जीवन में बहुत करीब से अनुभव किया है। मातृभूमि में परिवर्तन के लिए जब मैंने स्वयं को पूरी तरह से झोंका तो निश्चित रूप से अब मुझे अब यह सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। आज चारों ओर एक ऐसी खुशबू और ऐसा आभामंडल तैयार हुआ है जो मेरी इस मातृभूमि को एक अलग जगह पर ले जाने के लिए तैयार है। इस संघर्ष के दौरान मैंने महसूस किया कि जीवन में यदि परिवर्तन करना है तो खुद को संघर्ष की आग में झोंकना पड़ेगा।
कहा जाता हैं कि संघर्ष जितना कठिन होगा, सफलता उतनी ही शानदार होगी और वास्तव में संघर्ष के बाद जो सफलता का मार्ग खुलता है वह हर किसी को आत्ममुग्ध होने को मजबूर करता है। संघर्ष व्यक्ति को मजबूत बनाता है, फिर चाहे वो कितना भी कमजोर क्यों ना हो। व्यक्ति के जीवन में संघर्ष उसके चरित्र का निर्माण करते हुए यह तय करता है कि भविष्य में वह क्या बनेगा। जिस प्रकार पत्थर पर हथौड़े की चोट खाए बगैर भगवान आकार नहीं लेता है, कुछ वैसे ही बगैर संघर्ष किए जीवन में कोई भी परिर्वतन आसान नहीं होता है।
ठोकर खाकर गिरना और फिर खुद ही खुद को संभालना और फिर दोबारा से चलना ही संघर्ष है. यही संघर्ष आपके जीवन का परम सत्य है। मेरी इस मातृभूमि के लिए जिस परिकल्पना के साथ मैंने परिवर्तन की सोच के साथ संघर्ष की शुरुआत की, वह आज साकार होती नजर आ रही है।परिवर्तन की इस यात्रा में हर कोई सहभागी बनने के लिए आतुर है और निश्चित रूप से यही जोश और उत्साह मेरी इस मातृभूमि के विकास का नया अध्याय लिखेगा।
परिवर्तन के लिए दृढ़ निश्चय के साथ जब इस यात्रा की शुरुआत की थी तो शुरुआत में कई प्रकार के अवरोधको ने मुझे रोकने का प्रयास किया, लेकिन आप सभी का साथ और मन में सफलता का दृढ़ संकल्प था कि सभी चुनौतियों को पार करते हुए आज हम एक राह पर आ खड़े हुए है और यह राह हमारी मातृभूमि के सकारात्मक बदलाव की ओर जाती है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम सभी खींवसर के विकास का एक नया अध्याय लिखेंगे।
1.क्या आप भी मानते हैं कि संघर्ष जितना कठिन होगा, सफलता उतने ही शानदार होगी ?
2. क्या आप भी इस बात से सहमत है कि परिवर्तन के लिए संघर्ष की आग में स्वयं को झोंकना जरूरी है ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर