रविवार का सदुपयोग
साप्ताहिक सूक्ष्म ब्लॉग | संवाद से परिवर्तन का प्रयास
अंश- इकसठवाँ
राष्ट्र प्रथम
संगठन द्वितीय
स्वयं अंतिम
मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित|
चाहता हूँ मातृभूमि तुझको अभी कुछ और भी दूँ||
भाजपा की “राष्ट्र प्रथम” का मजबूत संकल्प मुझे पार्टी के प्रति सदैव निष्ठावान रहने के लिए प्रेरित करता है गत 2 दशक से मैं “राष्ट्र प्रथम” की इसी विचार से साथ भाजपा के माध्यम से देश सेवा करने हेतु प्रयासरत हूं, भाजपा का “राष्ट्र प्रथम” का विचार ही मुझे राजनीतिक परिवार से आने के बावजूद भी बिना किसी भी राजनीतिक इच्छा के भी भाजपा के प्रति संकल्पित रहने के लिए प्रेरित करता है। पिताजी के 2 बार मंत्री बनने के बावजूद भी मुझे भाजपा के कार्यकर्ता के रूप कार्य करने में ज्यादा आनंद महसूस होता है। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे भाजपा के माध्यम से देश के प्रति कुछ अर्पण करने का अवसर मिल रहा है। मैंने जीवन में कभी पार्टी की सेवा करते हुए पद या लाभ की इच्छा नहीं रखी क्योंकि “राष्ट्र प्रथम” ही मेरा प्राथमिक ध्येय है।
देश की आजादी को 76 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आज हम आजादी के अमृत काल से गुजर रहे है। इस पावन अवसर पर हमें “राष्ट्र प्रथम, पार्टी द्वितीय एवं स्वय तृतीय” का संकल्प हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए जिससे हमारा देश विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ सके।
आज हमारे देश में विभिन्न विचारधाराओं की राजनीतिक पार्टियां अपने रीति और नीति के आधार पर काम कर रही है, लेकिन विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी हमेशा राष्ट्र प्रथम ,संगठन द्वितीय और स्वयं को तृतीय स्थान पर रखकर काम करने में विश्वास करती है। पार्टी के छोटे से छोटे कार्यकर्ता को भी इस बात का अहसास है कि उसे हमेशा राष्ट्र को प्रथम स्थान पर रखते हुए कार्य करना है। पार्टी में कोई भी व्यक्ति संगठन से बड़ा नहीं हो सकता और कोई भी संगठन राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता। इस ध्येय के साथ ही हर कार्यकर्ता आज देश के नवनिर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सोच रही है कि राजनीतिक संगठनों एवं पार्टियों को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि किसी प्रतिद्वंद्वी या व्यक्ति का विरोध करना सही है लेकिन यह विरोध देश के सर्वोत्तम हितों के खिलाफ नहीं जाना चाहिए।
मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है की राष्ट्र प्रथम की अवधारणा हमें एक सूत्र में पिरोने के काम करती है मैं मेरे आदर्श पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के व्यक्तित्व से अत्यंत प्रेरित हूं और उनके कहें प्रसंग भी मेरे जीवन में बहुत महत्व रखते है, श्रद्धेय अटल जी ने सदैव देश प्रथम रखते हुए विपक्ष में रहते हुए देश हित के मुद्दों में सरकार के साथ खड़े रहने का कार्य किया है जिसके प्रसंगों से भारतीय राजनीतिक इतिहास भरा पड़ा है।
राजनीतिक जीवन में विभिन्न विचारधारा के लोगों से मिलना और उनके समक्ष अपनी विचारधारा को लेकर मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन मैं सदैव ऐसे राजनीतिक व्यक्ति के विपक्ष में खड़ा रहा हूं और रहूंगा जिनकी सोच या विचारधारा देश को किसी भी रूप में खंडित करने की रही है। ऐसी कई राजनीतिक पार्टियां अपने निजी स्वार्थ के लिए देश को समाज वर्गों में बांटने का कार्य कर रही है हमारा मूल लक्ष्य ऐसी ऐसी पार्टियों का बहिष्कार करना होना चाहिए। जब देश का अंतिम व्यक्ति “राष्ट्र प्रथम” का संकल्प ले लेगा तब हमारे भारत को विश्व गुरु बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
वर्षों की गुलामी की जंजीरें तोडने के पश्चात, विगत 76 वर्षों में भारत अपने सामर्थ्य से विश्व गुरु की अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। विविधता में एकता,बंधुता, वैश्विक शांति और प्रगति भारत का मंत्र है। आज पूरे विश्व में भारत और भारतीयों के प्रति आदर और सम्मान का भाव है। हमें याद रखना चाहिए कि जब हम आजाद हुए तो हमारे सामने कई चुनौतियां थीं। उन सभी चुनौतियों का सामना करते हुए आज हमारा देश विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। स्वदेशी तकनीक, चन्द्रमा पर बढ़ते कदम, वैश्विक ऊर्जा संकट, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत कि स्पष्ट राय को दुनिया भी स्वीकार्य करती है। दुनिया को स्पष्ट संदेश यह साबित करता है कि देश बदल रहा है।
विश्व के सबसे बड़े राजनितिक संगठन भारतीय जनता पार्टी का एक सामान्य कार्यकर्ता भी हमेशा यह विचार अपने मन मस्तिष्क में रखता है कि उनके लिए “राष्ट्र प्रथम, संगठन द्वितीय एवं स्वयं अंतिम” स्थान पर है। देश में रहने वाले करीब 140 करोड़ देशवासी जब अपने मन में राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ काम करेंगे तो निश्चित रूप से हमारा भारत देश न केवल विकास के नए आयाम स्थापित करेगा, बल्कि पूरे विश्व में अपनी एक विशिष्ट पहचान भी बन सकेगा।
ऐसे असंख्य उदाहरण है जिनमे हमारे पूर्वजों ने इस राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। इस राष्ट्र के निर्माण में करोड़ों देशवासियों ने अपनी आहुतियां दी है और यही कारण है कि देश की इस सुंदर ईमारत की नींव बहुत मजबूत है। किसी भी पार्टी की नीव तभी मजबूत हो सकती है जब उसमें व्यक्ति के बजाय संगठन को महत्व दिया जाए। जिस संगठन में कार्यकर्ता अपने आप को संगठन से ऊपर समझने लगते हैं, वह राजनीतिक संगठन कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है।
1. क्या आप भी मानते हैं कि राष्ट्र प्रथम की भावना हमें एकजुट रहते हुए देश को सर्वोच्च मानकर आगे बढ़ने का सन्देश देती है?
2. क्या आप भी मानते है कि भाजपा “राष्ट्र प्रथम, पार्टी द्वितीय एवं स्वयं अंतिम” की भावना को ध्यान में रखकर कार्य करती है ?
हृदय की कलम से !
आपका
– धनंजय सिंह खींवसर