राजनेता किसी भी समाज के लिए महत्वपूर्ण अंग होते हैं, वे सरकार और जनता के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करते हैं। वे आम लोगों की शिकायतें सुनकर, निजी और सरकारी संसाधनों का उपयोग करके, उनकी मुश्किलों का समाधान करने में मदद करते हैं। सामाजिक संरचना में लोगों की भलाई और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में उनकी प्रमुख भूमिका होती है।
नेतृत्व केवल चुनाव के दिन दिखने या सुर्खियों में आने की कोशिश करने से कहीं अधिक है, बल्कि यह लोगों के साथ संबंध विकसित करता है और उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने में मदद करता है। इससे स्थिति का विश्लेषण करके और लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए एक प्रभावी योजना तैयार की जाती है। सालों से कोशिश की जा रही है कि राष्ट्र के लोगों के जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए अभी क्या किया जाना चाहिए ।
जो लोग बदलाव लाना चाहते हैं, वे कभी भी सत्ता या पद की लालसा नहीं रखते। उनका एकमात्र मकसद राष्ट्र और उसके युवाओं के लिए सेवा भाव से काम करके उचित अवसर उपलब्ध करवाना है। वे लोकप्रियता या प्रसिद्धि पाने में कोई खुशी नहीं पाते, क्योकि वे सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने सहज विश्वास से प्रेरित होते हैं।
एक सच्चा नेता परिवर्तन लाने वाला होता है। हालाँकि, ये एक राजनेता के कुछ परिभाषित गुण हैं:
1. ऐसा व्यक्ति है जो अखंडता और निष्ठा का प्रतीक है। उसे इन गुणों का अभ्यास जनता और उन लोगों के साथ करना चाहिए जिनके साथ वह काम करता है।
2. ऐसा व्यक्ति जिसके पास उत्कृष्ट संचार कौशल है और सभी प्रकार के लोगों के साथ काम करने का एक शानदार तरीका है। उसे विभिन्न व्यक्तियों के साथ सहयोग करना चाहिए, चाहे उनकी राजनीतिक समानता या राय कुछ भी हो, आम जनता के लिए सर्वश्रेष्ठ के अलावा कोई भी नीति या नियम नहीं बनाना चाहिए।
3. ऐसा व्यक्ति जो एक प्रभावशाली सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में अपनी शक्ति से प्राप्त आकर्षक लाभ जनता को दे सकता है।
4. कोई भी प्रलोभन/लालच उस व्यक्ति को नहीं भटका सकता जिस व्यक्ति के नैतिक मूल्य मजबूत होते हैं।
5. जो व्यक्ति जनता की आवाज़ सुनता है, उनके मुद्दों को समझता है और उनकी प्रभावी ढंग से मदद करता है।
6. वह जो सही के लिए खड़ा होता है न कि उसके लिए जो उसे दूसरों की नज़र में अच्छा बनाये।
7. ऐसा व्यक्ति जिसके पास कम आवश्यक माने जाने वाले निर्णय लेने के लिए भी जिम्मेदारी की एक बड़ी भावना है।
एक सच्चा नेता सहयोग और आपसी विकास पर ध्यान केंद्रित करता है बजाय किसी ऐसे व्यक्ति के जो अनैतिक साधनों का उपयोग करके केवल जो वह स्वयं चाहता है उसे प्राप्त करने की धारणा रखता है। दबाव और चर्चा (बदतर परिदृश्य में) अक्सर आवश्यक होती है, परन्तु एक सच्चा नेता हमेशा सबसे पहले शांतिपूर्ण साधनों को प्राथमिकता देगा।
श्री धनंजय सिंह खींवसर बचपन से ही विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय सहभागिता निभाते रहे हैं। उनके माता-पिता ने यह सुनिश्चित
किया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ वे लोगों की सेवा, विशेष रूप से गरीबों की सेवा के प्रति समर्पित रहें। वे विभिन्न
सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और अपने क्षेत्र के उत्थान के लिए अनवरत काम करने का लक्ष्य रखते हैं।
वे खीवसर फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं। यह परोपकारी संगठन ग्रामीण राजस्थान के लोगों को उनके दैनिक जीवन की चुनौतियों से पार पाने में
मदद करने का प्रयास करता है।
श्री धनंजय सिंह राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) से भी सक्रिय
रूप से जुड़े हुए हैं और वे मानते हैं कि खेल राष्ट्र के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
श्री धनंजय सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं और राजनीति में सक्रिय भाग लेते हैं। कम उम्र में ही श्री धनंजय सिंह ने तीन राज्य विधानसभा चुनाव अभियानों और एक लोकसभा चुनाव अभियान का नेतृत्व किया है। उन्होंने कई स्थानीय, विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए प्रचार किया है और क्षेत्र में ‘इंडिया फर्स्ट’ के संदेश के प्रसार के लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस कार्य ने उन्हें बहुत अनुभव प्रदान किया है। उनके पिता श्री गजेन्द्र सिंह जी खींवसर राजस्थान सरकार में 4 बार विधायक और 3 बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं। श्री गजेंद्र सिंह जी ने स्वास्थ्य, ऊर्जा, उद्योग, वन, पर्यावरण, खेल और युवा मामलों जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला है।
श्री धनंजय सिंह राजस्थान में सोशल मीडिया पर सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले गैर-निर्वाचित युवा हैं जिनके फेसबुक पर 1.2 मिलियन से अधिक वास्तविक लाइक्स हैं और वे सोशल मीडिया का उपयोग अपने साथी युवा नागरिकों के साथ सकारात्मक संवाद के लिए एक मंच के रूप में करते हैं। अपने क्षेत्र में श्री धनंजय सिंह के जमीनी स्तर पर किए गए प्रयासों ने 2013 के तीन राज्य विधानसभा चुनावों में 70% से अधिक मतदान को संभव बनाया (मत प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में पहले कभी 40% से ऊपर नहीं गया था)। ऐसे युवाओं की एक बड़ी संख्या को उन्होंने एकजुट किया जिनके बारे में उनका मानना था कि उन्हें नीति निर्माण में भागीदार होना चाहिए ताकि ग्रामीण राजनीति में बेहतर परिणाम मिल सकें।
प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत और महिला अधिकारिता के विजन में विश्वास रखते हुए धनंजय खींवसर, लोहावत और जोधपुर में इस मुद्दे पर काम करने के लिए गठित एक युवा टीम के माध्यम से लोगों तक इस विचार को पहुंचाने में सक्षम हुए। भाजपा को मजबूत करने के लिए, धनंजय ने प्राथमिक सदस्यता अभियान में हजारों भाजपा सदस्यों को नामांकित करते हुए, विभिन्न युवा सम्मेलनों का आयोजन करके क्षेत्र में “अलग विचारों वाली पार्टी होने का विचार” (पार्टी विद डिफरेंस) का प्रचार करने में सक्षम हुए, जिसमें भाजपा के युवाओं की अपेक्षाओं पर चर्चा की गई। 2013 और 2018 के राजस्थान राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान, धनंजय पूरे क्षेत्र में भाजपा के अभियान को तकनीकी रूप से मजबूत और प्रभावी बनाने में सक्षम रहे जिससे भाजपा को जीत मिली।
उनके प्रयासों से लोहावत विधानसभा क्षेत्र में 3 नई पंचायत समितियों और 45 नई पंचायतों का गठन भी हुआ है, जो क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वह क्षेत्र के प्रभावी और व्यावसायिक विकास के लिए एक रोड मैप तैयार करने पर भी काम कर रहे हैं । उपरोक्त के लिए, धनंजय के पास विभिन्न क्षेत्रों /व्यवसायों के स्वयंसेवकों की एक टीम है, जो मारवाड़ के विकास से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए सदैव तैयार हैं। उनके प्रयासों से लोहावत और खींवसर क्षेत्रों में कई ऐतिहासिक परियोजनाएं और विकास न केवल संभव अपितु सफल भी हुए हैं।
राज्य भाजपा संगठन के मामलों में सक्रिय रूप से शामिल होने के कारण, धनंजय ने भाजपा के महासम्पर्क अभियान (सदस्यता अभियान जिससे भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई) के लिए जोधपुर जिले के प्रभारी नियुक्त होने जैसी विभिन्न महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। राजस्थान के अन्य सभी जिलों की तुलना में जोधपुर में सबसे अधिक सदस्य भाजपा में शामिल हुए। इस अभियान को चलाने की अपनी भूमिका में, धनंजय ने यह सुनिश्चित किया कि भाजपा का संदेश पार्टी के प्रत्येक उस सदस्य तक पहुंचे, जिन्होंने सदस्यता अभियान के दौरान प्राथमिक सदस्य के रूप में पंजीकरण कराया है। पूरे जिले में हर पंचायत, मंडल, तहसील और भाजपा और भाजयुमो के समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम अभियान में एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
वे भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजपा की युवा शाखा) के जोधपुर और उदयपुर संभाग के प्रभारी भी रहे हैं। धनंजय राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सरकार के माध्यम से पार्टी की विचारधारा, उसके नेतृत्व और पार्टी द्वारा किए गए कार्यों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न बड़ी बैठकों के साथ-साथ कई ढ़ाणी स्तर की छोटी-छोटी बैठकों का भी आयोजन करने में सक्षम रहे हैं।
हमारे देश, भारत ने अपनी बुनियाद लचीलेपन और दृढ़ता से मजबूत की है। जिसके परिणामस्वरूप यह कई सांस्कृतिक और सैन्य आक्रमणों के बाद भी वैसा ही बना हुआ है जबकि कई सभ्यताओं ने अपनी पहचान और यहां तक कि अपना अस्तित्व भी खो दिया है।
इन तमाम आक्रमणकारी तूफानों के बाद भी भारत ने अपने विचार और संस्कृति को बरकरार रखते हुए अपने पैर मजबूती से जड़ो में टिकाए रखे। भाजपा सांस्कृतिक हिंदुत्व के सार को बनाए रखने की ध्वजवाहक है और आने वाले वर्षों में ऐसा करने के लिए सामाजिक-राजनीतिक इकाई बन गई है।
भाजपा और संघ परिवार भाईचारे की हिंदू अवधारणा का पालन करते हैं और व्यक्ति के व्यक्तिगत पंथों की परवाह किए बिना कोई आपसी अंतर भी नहीं करते हैं। हिंदुत्व समावेश है और इसमें वे सभी शामिल हैं जो भारतीय संस्कृति का अभ्यास करते हैं और धर्मनिरपेक्ष हैं। हिंदुत्व ही वह भावना है जो भारतीय धर्मनिरपेक्षता और बहुआयामी संस्कृति को एक सूत्र में पिरोकर रखने का कार्य करती है। हम संस्कृति को अपनाते हैं और इस प्रकार, उन सभी के लिए हमारे द्वार खुले हैं जो इसका प्रचार और अनुसरण करते हैं।
यह नित्य सुंदर भावना हमारे राजनीतिक कार्यों की भी आधारशिला रखती है। श्यामा प्रसाद और दीन दयाल उपाध्याय के कुशल मार्गदर्शन और नेतृत्व के तहत, हमारे देश के सांस्कृतिक ताने-बाने को सांप्रदायिक और मार्क्सवादी ताकतों से बचाने के लिए भारतीय जनसंघ का गठन किया गया था। फिर यह देश में बहुत सारे हिंदुत्व समर्थकों के लिए केंद्रीय सामाजिक और राजनीतिक आवाज बन गया।
1970 के आपातकालीन काल के अत्याचार के दौरान भाजपा ने आकार लेना शुरू कर दिया। इस प्रकार, भारतीय जनसंघ भारतीय जनता पार्टी में ढल गया।
भाजपा के संघर्ष और आपातकाल के अत्याचार को खत्म करने में इसकी भूमिका ने राजनीतिक बहुत्ववादी एक चरण की शुरुआत की, जिसमें भाजपा मौजूदा कांग्रेस पार्टी, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से एक परिवार ने ही किया, के सामने एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभरी। आपातकाल के भयानक दौर के कारण बहुत नुकसान हुआ और हमारे पार्टी ने उसकी भरपाई करने के लिए बहुत संघर्ष किया जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन भाजपा नेता, कांग्रेस के खिलाफ खड़े हुए। हमारी पार्टी 1984 की संसद में केवल दो ही सीटें हासिल करने में सफल रही।
भाजपा तब छद्म-धर्मनिरपेक्षता और पुरानी मध्यमार्गी नीतियों का अंत करने वाली पार्टी बन गई ताकि भारत को 21वीं सदी में विकास के लिए तैयार किया जा सके। देश ने हमेशा आवश्यकता के समय में परिवर्तन चालक होने के लिए भाजपा का पक्ष लिया है।
हमने हर संभव काम किया है और कानून की नजर में हर भारतीय को समान बनाने के लिए सही तथ्य पेश करते रहेंगे। पिछले कुछ दशकों में हमने जो पश्चिमीकरण और वैश्वीकरण देखा है, उसकी वजह से, हम दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता, यानी भारत को बरकरार नहीं रख सकते हैं।
हम देश के अंदर सांस्कृतिक, प्रशासनिक, सामाजिक और राष्ट्रीय पहचान को बनाए रखने के लिए काम कर रहे है ।
1998 में, श्री वाजपेयी जी को प्रधान मंत्री कार्यालय में स्थापित करने के साथ एक सपना साकार हुआ, क्योंकि पार्टी का इरादा हमेशा एकजुट, सांस्कृतिक और विश्व स्तर पर मजबूत मोर्चा बनाने का था। बहुत जरूरी बातचीत और लंबे समय के बाद यह महत्त्वपूर्ण उपाय “धर्मान्तरण” पर प्रतिबंध अस्तित्व में आया।
भारत में कश्मीर के पूर्ण क्षेत्रीय एकीकरण जैसे कई विवादास्पद मुद्दे या भारत के सांस्कृतिक गौरव को मजबूत करनाय या समग्र मानवतावाद पर आधारित भारतीय समाज का प्रतिरूपण तथा शासन और प्रशासन में मानव को प्रमुखता देने की बातें प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों की उपज है। इन सब बातों के स्पष्ट होने जाने के बाद हमने भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक वार्ताएं की।