खींवसर फाउंडेशन की स्थापना खींवसर के कुंवर धनंजय सिंह ने 2013 में की थी। शिक्षा, महिला सशक्तिकरण आदि में कई एनजीओ द्वारा किए जा रहे सभी सराहनीय कार्यों के साथ, लोगों की दैनिक समस्याओं को हल करने में असमर्थता एक बड़े पैमाने पर मुद्दा बनी हुई है। इसलिए, खींवसर फाउंडेशन के साथ, धनंजय का उद्देश्य लोगों के जीवन को व्यापक परिप्रेक्ष्य के साथ विकसित करने में मदद करना है और जीवन के सिर्फ एक या दो पहलुओं के बजाय उनके समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।
स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण भारत, जहां सामुदायिक नैतिकता लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जिससे उनके मौलिक अधिकारों को अत्यंत सम्मान के साथ बनाए रखा जाता है।
स्वतंत्रता, समानता और न्याय, राष्ट्र की स्थिरता और सद्भाव को परिभाषित करते हैं। ऐसी व्यवस्था में, सामुदायिक नैतिकता लोगों की सुरक्षा का वादा करती है, उनके अधिकारों को पूर्ण महत्व के साथ प्रोत्साहित करती है।
उद्देश्य:
● प्राकृतिक आपदा (आग, बिजली का करंट, बाढ़, भूकंप, आदि) पीड़ितों को सहायता प्रदान करना।
● बच्चों और महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना।
● पिछड़े वर्गों के जीवन को बेहतर बनाने में सहायता करना और ग्रामीण रोजगार को प्रोत्साहित करना।
● शारीरिक रूप से विकलांग, और मानसिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना।
● उन अनाथ बच्चों को सहायता प्रदान करना जिनके समीप कोई अनाथ आश्रम नहीं है।
● पानी की कमी से जुड़ी समस्याओं से निपटना।
● विधवाओं और अन्य शोक संतप्त महिलाओं के जीवन को विकसित करने में मदद करना।
● भारत में शिक्षा प्रणाली को उच्चत्तम बनाने के लिए।
● दुर्घटना पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करना।
● पर्यावरण जागरूकता, पुनर्वास और पशुओं के प्रति मानवीय व्यवहार को बढ़ावा देना।
● देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान करना।
● समाज से गरीबी मिटाने में मदद करना।
● आर्थिक संतुलन लाने के लिए गरीबों के लिए रोजगार सृजित करना।
● लोगों को उनके रंग, जाति, लिंग या पंथ की परवाह किए बिना सशक्त बनाना।
● अल्पसंख्यकों के वंचित वर्गों की बेहतरी के लिए आर्थिक-विकास गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।
● समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की कठिनाइयों को कम करना।
● कमजोर वर्गों की भलाई के लिए उद्यमिता और अन्य उपक्रमों को बढ़ावा देना।
● आत्मविश्वास का निर्माण, समस्या-समाधान क्षमता विकसित करना और स्थानीय लोगों के कौशल को बढ़ाकर समाज की नींव मजबूत करना।
● समाज में शांति, न्याय और समानता बनाने और बनाए रखने में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
● लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और भेदभाव को रोकना।
इस ऐतिहासिक विकास गति को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकता है कि समाज के वंचित वर्गों के अधिकार हमारी राजनीति और वित्तीय निर्णयों द्वारा सुव्यवस्थित किये जाएँ।
आवश्यकता बिल्कुल स्पष्ट है: यदि वर्तमान जनसंख्या संबंधी आंकड़े और उससे संघर्ष के रुझान- लंबे और जटिल संघर्ष बार-बार होने का जोखिम, रिकॉर्ड पैमाने पर जबरन विस्थापन, शहरीकृत संघर्ष, बढ़ती असमानता जारी रही तो आवश्यकताओं के बीच की खाई और बढ़ती जाएगी।
एक समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में सर्वोत्कृष्ट कारक है, एक महत्वपूर्ण (और मूलभूत) परिवर्तन, जिस तरह से हम मुद्दों और समस्याओं को देखते हैं उसमे प्रगतिशील बदलाव। नए लोगो के लिए, संकट और पीड़ा को समाप्त करने के लिए समाधान विकसित करना उत्कृष्ट नेतृत्व का संकेत है। इसे ठीक करने के तरीके खोजना ही नेतृत्व का सही मार्ग है!
आगे बढ़ते हुए, हमारा यथार्थ उद्देश्य हमारे 2030 एजेंडा के लक्ष्य को प्राप्त करना है। हमारा मिशन समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना है और उन लोगों की मदद करना है जिन्हें आगे आने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिले है। संकट के समय में हम अपनी कमजोरियों के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखते हैं, इस पर बहुत कुछ किया जाना है।
हमारी चिंता उन 8 करोड़ 80 लाख (88 मिलियन) लोगों पर ध्यान देने की होनी चाहिए जो दुर्बल और कमजोर स्थिति में जी रहे हैं। हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम उनके जीवन को ध्यान में रखते हुए शांति, सुरक्षा, विकास, मानवीय कार्यों और मानवाधिकारों के बारे में निर्णय लेना सुनिश्चित करें। हमारा काम समाज में संतुलन लाने के लिए ऐसी समस्याओं से प्रभावित क्षेत्रों में 17 एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) को प्राप्त करना है। इसमें संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, निधियों और कार्यक्रमों में सुधार करना भी शामिल होगा।
अब जबकि हम क्षति की भरपाई कर ही रहे हैं तो हमें अब इन कमजोरियों और जोखिमों की संभावनाओं को कम करने की दिशा में भी काम करना चाहिए। मानवतावादी और विकासप्रिय कार्यकर्ताओं को व्यक्तिपरक विशेषाधिकारों को ध्यान में रखते हुए सामूहिक लाभ लाने के अवसरों को विकसित करने की तलाश करनी चाहिए। हमें व्यक्तिगत, संस्थागत अधिदेशों के बजाय संयुक्त विकास एजेंडा बनाने पर काम करने की आवश्यकता है।
कमजोरियों को दूर करने और लोगों को अपनी जान जोखिम में डालने से रोकने के लिए जलाशयों का विकास करना होगा जो कि एक या दो दिन का कार्य नहीं है बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समय और प्रयास की आवश्यकता होती है। हमें निवेशकों और दानदाताओं को उन व्यक्तिगत परियोजनाओं, जिनका दीर्घावधिक महत्व नहीं है, की बजाय सामूहिक परियोजनाओं को निधि देने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। हमें जोखिमों को कम करने के लिए स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि हम उन्हें उस समर्थन की सुरक्षा का आश्वासन दे सकें जो समाज के उज्जवल भविष्य के लिए आवश्यक है । साथ ही, हमें पारंपरिक परस्परता को बढ़ाने के लिए जोखिम विश्लेषण के आधार पर बीमा और नकद भुगतान सहित अधिक वित्तीय उपकरण विकसित करने की भी आवश्यकता है।